नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी अपने नाम से मिलती जुलती पार्टी का फिर से रजिस्ट्रेशन चाहती है. क्योंकि दोनों पार्टियों का संक्षिप्त नाम ‘आप’ ही है और एक जैसा नाम होने से मतदाता को परेशानी हो सकती है. इसी बात को लेकर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई थी मगर निर्वाचन आयोग ने इसे खारिज कर दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के इस फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी की याचिका पर आज आयोग से जवाब मांगा.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने आयोग को नोटिस जारी किया और नई गठित की गई आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स) को फिर से रजिस्टर्ड करने की आम आदमी पार्टी की मांग को लेकर उसकी याचिका पर आयोग का जवाब मांगा. आम आदमी पार्टी इस आधार पर नई गठित की गई पार्टी का फिर से रजिस्ट्रेशन चाहती है क्योंकि दोनों पार्टियों का छोटा नाम ‘आप’ ही है और समान नाम होने से मतदाताओं को भ्रम हो सकता है.
वकील अनुपमा श्रीवास्तव के जरिए दायर याचिका में दावा किया गया है कि नई पार्टी का नाम भी उसके नाम से मिलता-जुलता है और इससे मतदाता नई बनाई पार्टी को भी आम आदमी पार्टी ही समझ सकते हैं..
वहीं आयोग के आदेश के मुताबिक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन जायज है और इसी आधार पर आम आदमी पार्टी की आपत्ति खारिज की गई है. आम आदमी पार्टी ने निर्वाचन आयोग के 16 जुलाई के इसी आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है. हाई कोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 13 नवम्बर को होगी.