नई दिल्ली: सरकार ने आज इस बात को खारिज कर दिया कि न्यायमूर्ति जोसेफ की नियुक्ति को ठुकराने का उत्तराखंड फैसले से कोई संबंध है. बता दें कि केएम जोसेफ ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों से सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह न्यायालय के कोलेजियम की तरफ से भेजे गए प्रस्तावों पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकती है. सरकार ने 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम से कहा था कि वह जस्टिस जोसेफ के संबंध में अपनी सिफारिश पर पुनर्विचार करे.


जस्टिस जोसेफ के प्रमोशन के मामले में SC के कोलेजियम की बैठक, नहीं हुआ कोई फैसला


कांग्रेस की तरफ से सरकार पर प्रायोजित आरोप लगाए जा रहे हैं: रविशंकर प्रसाद


सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति को रोकने के फैसले के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में प्रसाद ने कहा कि सरकार के खिलाफ प्रायोजित आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आम तौर पर और विशेष रूप से कांग्रेस की तरफ से सरकार के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन संबंधी उनके फैसले को लेकर उनकी नियुक्ति को रोका गया.


रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह पूरे अधिकार के साथ इस बात से इनकार करते हैं कि इसका उससे कोई लेना-देना है. उन्होंने कहा कि अपने रुख का समर्थन करने के लिए उनके पास दो स्पष्ट कारण हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तीन चौथाई बहुमत के साथ सरकार चुनी गयी है. दूसरा, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने उस आदेश (न्यायमूर्ति जोसेफ) की पुष्टि की थी. न्यायमूर्ति खेहर ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को भी खारिज कर दिया था. इसके बाद भी वह एनडीए सरकार के कार्यकाल में प्रधान न्यायाधीश बने.


केंद्रीय मंत्री ने न्यायपालिका के संबंध में पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह रिटायर न्यायाधीश के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.