Rekha Mishra: मुंबई में रेलवे सुरक्षाबल की पुलिसकर्मी बनी शक्ति की मिसाल, 950 बच्चों को दिया नया जीवन
रेखा मिश्रा ने अब तक 950 घर से भागे और तस्करी के लिए ले जाये जा रहे बच्चों को बचाया है और उन्हें नया जीवन दिया है. अपने साहसपूर्ण कारनामों और दृढ़ संकल्प की वजह से साल 2017 में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
मुंबई आरपीएफ़ की महिला सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा के फ़ौलादी इरादों ने अभाव, असंतोष और असुरक्षा के चलते घर से भागकर मायानगरी मुंबई की राह पकड़ने वाले सैकड़ों बच्चों को न केवल ग़लत हाथों में जाने से बचाया, बल्कि उनके परिजनों तक पहुंचाया भी है. वो अब तक लगभग एक हज़ार बच्चों की मदद कर चुकी हैं. मुंबई महानगर के आकर्षण में 10 से 18 साल के हज़ारों बच्चे और टीनएजर्स घर से भागकर इस शहर पहुंचते हैं. मुंबई पहुंचने का सबसे सुलभ ज़रिया ट्रेन को माना गया है और यहां मुंबई में स्टेशन के बाहर ऐसे लोग मौजूद होते हैं, जो इन बच्चों को ग़लत कामों में लगाने की फ़िराक में रहते हैं, लेकिन पिछले दो सालों में ऐसा नहीं हुआ है और इसकी वजह है रेखा की स्टेशन के बाहर मौजूदगी.
रेखा का लड़कियों को संदेश:
रेखा मिश्रा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि उनको उम्मीद है कि वो जो काम करती हैं, उससे युवा लड़कियों को ये महसूस करने में मदद मिलती है कि वो अपने जीवन की नायिका हो सकती हैं और ये कि उनके भीतर अपनी कहानियाँ लिखने की शक्ति है. वहीं रेखा ने अपने बचपन और आरपीएफ के काम के बारे में जानकारी भी दी.
रेखा की प्रेरणा :
रेखा ने बताया कि उनको उनके पिता ने पुलिस बल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था, क्योंकि उनके पिता भी सेना में नौकरी करते थे. वहीं एक युवा लड़की के रूप में रेखा मिश्रा ने बताया कि मुंबई के प्रसिद्ध छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में उनकी तैनाती हुई थीं और महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने की प्रभारी थीं. बतादें कि रेखा का जन्म प्रयागराज में हुआ था.
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