नई दिल्ली: रिलायंस डिफेंस ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे को लेकर अपने नए आरोपों में जिस कथित ईमेल का हवाला देते हुए प्रस्तावित सहमति पत्र का जिक्र किया है, वह एयरबस हेलीकॉप्टर के साथ उसके सहयोग के संदर्भ में था और उसका युद्धक विमान के ठेके से कोई संबंध नहीं है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल विमान सौदे में अनिल अंबानी का बिचौलिया बन कर देशद्रोह और शासकीय गोपनीयता कानून का उल्लंघन किया. उन्होंने एक ईमेल का हवाला देकर दावा किया कि कारोबारी को भारत और फ्रांस के बीच सौदा होने से पहले ही इसके बारे में पता था.


रिलायंस डिफेंस के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ''कांग्रेस पार्टी द्वारा जिस कथित ईमेल का संदर्भ दिया जा रहा है वह 'मेक इन इंडिया' के तहत नागरिक और रक्षा हेलीकॉप्टर कार्यक्रम के बारे में एयरबस और रिलायंस डिफेंस के बीच हुई चर्चा से संबंधित है.'' गांधी ने मीडिया में 28 मार्च 2015 की तारीख का एक ईमेल जारी किया है जिसे कथित तौर पर एयरबस के कार्यकारी निकोलस चामुसी द्वारा तीन लोगों को भेजा गया था और इस ईमेल की सब्जेक्ट लाइन में लिखा था अंबानी.


राहुल ने दावा किया कि ईमेल दिखाता है कि अंबानी ने तत्कालीन फ्रांसीसी रक्षा मंत्री जीन येव्स ली ड्रायन के दफ्तर का दौरा किया था और ''एक एमओयू तैयार किये जाने और प्रधानमंत्री के (फ्रांस) दौरे के दौरान उस पर हस्ताक्षर किये जाने की मंशा'' का उल्लेख किया था. रिलायंस रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ''प्रस्तावित एमओयू पर चर्चा स्पष्ट रूप से एयरबस हेलीकॉप्टर और रिलायंस के बीच सहयोग पर हो रही थी. इसका 36 राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सरकार के समझौते का कोई संबंध नहीं है.''


राफेल डील: राहुल ने ई-मेल दिखाकर कहा, 'PM मोदी ने अनिल अंबानी के बिचौलिये और जासूस की तरह काम किया'


रिलायंस रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ''यह भी दस्तावेजों में दर्ज है कि राफेल विमानों के लिये फ्रांस और भारत के बीच सहमति पत्र पर 25 जनवरी 2016 को दस्तखत हुआ था न कि अप्रैल 2015 में.''


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