Jio इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिये जाने पर विवाद, HRD मंत्रालय ने दी सफाई
एचआरडी मंत्रालय ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलोर, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की घोषणा की है. कांग्रेस ने रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट पर आपत्ति जताई है.
नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की तरफ से छह इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस) का दर्जा देने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कॉरपोरेट फ्रेंड्स (उद्योगपति दोस्त) को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है. वहीं एचआरडी मंत्रालय ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है.
दरअसल, एचआरडी मंत्रालय ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलोर, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने की घोषणा की है.
कांग्रेस को रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट पर आपत्ति है. पार्टी सवाल पूछ रही है कि जियो इंस्टीट्यूट अब तक बना ही नहीं है तो सरकार कैसे उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दे सकती है? कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से #SuitBootSarkar के साथ ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा.
पार्टी ने कहा, ''बीजेपी की सरकार ने एक बार फिर मुकेश अंबानी और नीता अंबानी को फायदा पहुंचाया. जियो इंस्टीट्यूट जो अस्तित्व में ही नहीं है उसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया गया. सरकार को सफाई देनी चाहिए कि इस तरह के स्टेट्स देने का क्या पैमाना है.''
The BJP Govt favours Mukesh & Nita Ambani yet again. The illusionary JIO Institute which is yet to see the light of day has been declared as an 'eminent' institute. The Govt needs to clarify the basis of classification for granting such a status.#SuitBootSarkar https://t.co/owxlh7Kgev
— Congress (@INCIndia) July 9, 2018
वहीं असम से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगाई ने ट्वीट कर सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा, ''बीजेपी सरकार द्वारा आईआईटी बंबई, आईआईएससी आदि के साथ जियो इंस्टीट्यूट को 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस' का दर्जा दिया जाना हास्यास्पद है. रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट अभी अस्तित्व में नहीं है. यह मोदी सरकार को एक्सपोज करती है कि वह अपने कॉरपोरेट फ्रेंड्स को लगातार मदद पहुंचा रही है.''
BJP Govt's bonanza of granting 'institution of eminence' to #JioInstitute which is yet to be set up by Reliance Foundation at par with other eminent institutions like IIT's, IISC, etc is ridiculous & exposes that Modi Govt continues to favour his corporate friends until the end. pic.twitter.com/6DFITA8Vq3
— Tarun Gogoi (@tarun_gogoi) July 10, 2018
मंत्रालय की सफाई
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूरे विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है. इसका उद्देश्य निजी संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एजुकेशन इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बढ़ावा देना है, ताकि देश को इसका लाभ मिल सके. मंत्रालय ने कहा कि जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत चुना गया है, जो कि नए संस्थानों के लिए होती है.
मंत्रालय के अनुसार चार मानक तय किए गए थे. इंस्टीट्यूट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो. शीर्ष योग्यता और व्यापक अनुभव वाली टीम रख रहे हो. इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए फंड जुटा सके.
आपको बता दें कि छह इंस्टीट्यूट को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिये जाने के मौके पर एचआरडी मंत्रालय ने कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण है. हमारे देश में 800 यूनिवर्सिटी हैं लेकिन एक भी यूनिवर्सिटी शीर्ष 100 या 200 की विश्व रैंकिंग में शामिल नहीं है. आज के निर्णय से इसे हासिल करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय ने कहा कि इससे इन संस्थानों के स्तर एवं गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा. इसके अलावा विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की दिशा में जो कुछ भी जरूरी होगा, किया जा सकेगा .
एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिये टिकाऊ योजना, सम्पूर्ण स्वतंत्रता और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को सार्वजनिक वित्त पोषण की जरूरत होती है. ‘‘मोदी सरकार की प्रतिबद्धता हस्तक्षेप नहीं करने और संस्थानों को अपने अनुरूप आगे बढ़ने की अनुमति प्रदान करने की है.’’
उन्होंने कहा कि इस दिशा में नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से एक और मील का पत्थर स्थापित करने वाली गुणवत्तापूर्ण पहल की गई. विशेषज्ञ समिति की ओर से उत्कृष्ट संस्थानों का चयन किया गया है और आज हम छह यूनिवर्सिटी की सूची जारी कर रहे हैं जिसमें 3 सार्वजनिक क्षेत्र के और 3 निजी क्षेत्र के संस्थान शामिल हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इस दिशा में मील का पत्थर निर्णय है क्योंकि इसके बारे न तो सोचा गया था और न ही प्रयास किया गया था. यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से कहीं आगे की चीज है और वास्तव में संस्थानों की पूर्ण स्वायत्तता जैसा है.
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उन्होंने कहा कि इससे संस्थान अपने निर्णय स्वयं ले सकेंगे. आज का निर्णय एक तरह से पूर्ण स्वायत्तता है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी छात्र को शिक्षा के अवसर और छात्रवृत्ति, ब्याज में छूट, फीस में छूट जैसी सुविधाओं से वंचित न रहे.
जावड़ेकर ने उम्मीद जतायी कि आने वाले समय में और संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान के रूप में मान्यता मिल सकेगी. जावड़ेकर ने कहा कि देश के आईआईटी में लड़कियों की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत हो गई है और दो वर्ष पहले की तुलना में यह 8 प्रतिशत की वृद्धि है.
मंत्री ने आईआईएससी बेंगलोर को गौरव का विषय बताया और कहा कि इस संस्थान में बेहतर बनने की संभावना है. यह संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र का संस्थान है, इसे पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है ताकि यह वास्तव में विश्व स्तरीय संस्थान बन सके.
आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बंबई को बधाई देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इन दोनों उत्कृष्ट संस्थानों को सरकारी वित्त पोषण प्राप्त होगा क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के जिन संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है, उन्हें अगले पांच वर्षो के दौरान 1000 करोड़ रूपये का सरकारी अनुदान मिलेगा.
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