बीजेपी में शामिल हो चुकी पश्चिम बंगाल की पूर्व आईपीएस भारती घोष को आज सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी. कोर्ट ने राज्य पुलिस की तरफ से दर्ज मुकदमों में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. यह रोक विधानसभा चुनाव तक रहेगी.
भारती ने याचिका में बताया था कि 2018 में उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद राज्य पुलिस ने 10 केस दर्ज किए थे. जिनमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत दी थी. 2019 में घाटल लोकसभा चुनाव से बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने के दौरान उन्हें परेशान किया गया. चुनाव प्रचार से रोकने के लिए पुलिस और सीआईडी ने लंबी देर तक पूछताछ की. इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी थी.
याचिका में कोर्ट को यह बताया गया था कि अब भारती के खिलाफ मुकदमों की संख्या 10 से बढ़ कर 30 हो गई है. तमाम तरह के संदिग्ध लोगों की तरफ से एफआईआर दर्ज करवाए गए हैं. एक मुकदमा 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कथित मारपीट का है. इसमें उनकी सुरक्षा में लगे सीआईएसएफ के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है. उन्हें इस मुकदमे का पता भी नहीं था. अब विधानसभा चुनाव से पहले अचानक इस मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी करवा लिया गया है.
भारती घोष के लिए पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल की इन दलीलों का पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने विरोध किया. लूथरा ने कहा कि इस समय पुलिस-प्रशासन चुनाव आयोग के मातहत है. मामले में वारंट भी राज्य सरकार ने नहीं, कोर्ट ने जारी किया है. लूथरा ने यह भी कहा कि भारती की गिरफ्तारी पर रोक से गलत संकेत जाएगा. लेकिन जज इन दलीलों से सहमत नहीं हुए.
कोर्ट ने विधानसभा चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक भारती घोष की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. पश्चिमी मिदनापुर की डेबरा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रही पूर्व आईपीएस से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस अवधि के बाद निचली अदालत में उचित आवेदन दाखिल कर राहत की मांग करें.
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