Religious Freedom Bill: हिमाचल प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता कानून और हुआ सख्त, 10 साल सजा का प्रावधान
Religious Freedom Act: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन शनिवार को धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पारित कर दिया गया. अब प्रदेश में धर्मांतरण कानून पहले से भी ज्यादा सख्त हो जाएगा.
Religious Freedom Bill: हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly) में मानसून सत्र (Monsoon Session)के आखिरी दिन शनिवार को धार्मिक स्वतंत्रता बिल (Religious Freedom Bill) को मंजूरी दे दी गई. धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2019 का अधिनियम संख्या 13 का संशोधन करने के लिए विधेयक को पारित किया गया, जिसके बाद अब प्रदेश में धर्मांतरण कानून (Religion Conversion Law) और सख्त हो गया है. अब इस कानून के तहत आठ से दस साल की सजा होगी. विपक्ष ने इस विधेयक पर किसी भी तरह का सवाल उठाए बिना इस बिल को पारित कर दिया.
अब पांच साल नहीं, दस साल होगी सजा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा धर्मांतरण रोधी कानून में संशोधन के लिए पेश किए गए विधेयक को पारित कर दिया गया, जिसमें मौजूदा कानून में सजा बढ़ाने का और ‘सामूहिक धर्मांतरण’ के उल्लेख का प्रावधान है. नया अधिनियम धर्म को लेकर धोखाधड़ी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन, शादी या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से किए जाने वाले धर्मांतरण को प्रतिबंधित करता है. हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 में पहले की अपेक्षा और अधिक सख्त कानून को शामिल किया गया है. अब पांच साल की जगह दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा-ये कानून जरूरी था
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सदन में विधेयक के पारित होने के बाद कहा कि धर्मांतरण आज बड़ी समस्या है. इससे आने वाले सालों में हिंदुओ की संख्या कम हो जायेगी. इसमें अब ये भी प्रावधान किया गया है कि जो भी धर्मांतरण करेगा उसको सरकारी सुविधाएं नही मिलेगी. इसके साथ ही गैर जमानती धाराओं का भी प्रावधान किया गया है.
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