India On Religious Freedom Report: भारत ने मंगलवार (16 मई) को अमेरिकी विदेश विभाग की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित 2022 की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ''हमें अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 की रिपोर्ट जारी होने के बारे में जानकारी है. अफसोस की बात है कि इस तरह की रिपोर्ट्स अब भी गलत सूचना और गलत समझ पर आधारित हैं.''
अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार (15 मई) को कहा कि रूस, भारत, चीन और सऊदी अरब समेत कई देशों की सरकारें खुलेआम धार्मिक समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाती रही हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि कुछ अमेरिकी अधिकारियों की ओर से की गई पक्षपाती टिप्पणी केवल इन रिपोर्ट्स की विश्वसनीयता को कम करने का काम करती है. उन्होंने कहा, ''हम अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को अहमियत देते हैं और और हमारे लिए चिंता के मुद्दों पर खुलकर आदान-प्रदान करना जारी रखेंगे.''
क्या है अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट में?
अमेरिकी विदेश विभाग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की है जो दुनियाभर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का दस्तावेजीकरण करती है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से रिपोर्ट जारी किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के विशेष राजदूत रशद हुसैन ने वाशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘‘कई सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर धार्मिक समुदाय के सदस्यों को खुले तौर पर निशाना बनाना जारी रखा है.’’
रिपोर्ट में दुनियाभर के करीब 200 देशों और क्षेत्रों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में एक तथ्य-आधारित, व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने का दावा किया जाता है. ब्लिंकन ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों को उजागर करना है जहां जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है और आखिरकार प्रगति को एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाना है जहां धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता हर जगह हर किसी के लिए एक वास्तविकता हो.’’ हालांकि, ब्लिंकन ने अपनी टिप्पणियों में भारत का जिक्र नहीं किया और वार्षिक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ वाला हिस्सा पूर्व के वर्षों के समान ही है.
अमेरिकी अधिकारी ने भारत को लेकर ये कहा
रशद हुसैन ने भारत का जिक्र किया है. हुसैन ने रूस के बाद चीन और अफगानिस्तान समेत उन कुछ देशों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारतभर में विभिन्न धार्मिक समुदाय से जुड़े कानून के हिमायती और धार्मिक नेताओं ने हरिद्वार शहर में मुस्लिमों के खिलाफ घोर नफरती भाषा के मामलों की निंदा की और देश का आह्वान किया कि उसके ऐतिहासिक बहुलवाद और सहिष्णुता की परंपरा को बनाए रखा जाए. बर्मा (म्यांमार) सैन्य प्रशासन रोहिंग्या आबादी को लगातार दबा रहा है जिससे कई लोग अपने घर छोड़कर पलायन कर गए हैं.’’
गुजरात और मध्य प्रदेश की घटनाओं का जिक्र
दस्तावेज के भारत खंड में कहा गया है कि इस वर्ष के दौरान कई राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यक सदस्यों के खिलाफ कानून प्रवर्तन अधिकारियों की ओर से हिंसा की कई रिपोर्ट सामने आई, जिसमें गुजरात में सादी वर्दी में पुलिस की ओर से अक्टूबर में एक त्योहार के दौरान हिंदू उपासकों को घायल करने के आरोपी चार मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अप्रैल में खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिमों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने का मामला भी शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय के पांच प्रमुख सदस्यों से उनकी चिंताओं को सुनने और मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के बारे में चर्चा करने के लिए मुलाकात की.
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