Remdesivir shortage- देश में कोरोना कहर बरपा रहा है. ऐसे में इसकी मुख्य दवाई रेमडेसिविर की भी भारी कमी हो गई है. कई राज्यों में कोरोना संक्रमन के बढ़ते मामलों के बावजूद वहां रेमडेसिविर नहीं मिल रही है. मध्य प्रदेश भी ऐसा ही राज्य है. MP में इन दिनों रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी मारा मारी चल रही है. रोज तकरीबन पांच हजार इंजेक्शन की जरूरत होती है और प्रदेश में साढ़े तीन से चार हजार इंजेक्शन ही लग पा रहे हैं. इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने नई व्यवस्था की है. 



अधिकारी को रेमडेसिविर अस्पताल भेजने का अधिकार 
इस व्यवस्था के तहत अगर किसी मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत होगी तो उसे अस्पताल में भर्ती होना होगा. उसके बाद अगर अस्पताल रेमडेसिविर की जरूरत के संबंध एक पत्र देता, तभी उसे यह इंजेक्शन दी जाएगी. हालांकि यह किसी केमिस्ट की शॉप नहीं मिलेगी. इस पत्र को एसडीएम के दफ्तर में लाना होगा. अगर उस अस्ताल में रेमडेसिविर नहीं है तो SDM स्तर का अधिकारी उस आवेदन के हिसाब से उस अस्पताल में इंजेक्शन पहुंचा देगा. मगर यह व्यवस्था भी माकूल नहीं हो पा रही. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल के कलेक्टर दफ्तर में दोपहर 12 बजे से मरीजों के परिजन लंबी लाइनों में खड़े हैं और अधिकारी गायब हैं. 



प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर 
इधर केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर की पहुंच जरूरतमंदों तक सुनिश्चित करने के लिए विदेश में निर्यात पर रोक लगा दी है और प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए कहा है. इससे पहले नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी. के. पॉल ने कहा था कि रेमडेसिविर का उपयोग सिर्फ उन्हीं मरीजों के लिए किया जाए,  जिन्हें अस्पताल में भर्ती रखने की जरूरत है और जिन्हें बाहर से ऑक्सीजन दिया जा रहा है. यह एक पूर्व शर्त है. घर पर रह रहे रोगियों और हल्के लक्षणों वाले संक्रमण के मामलों में इसके उपयोग का कोई सवाल ही नहीं है तथा इसे दवा दुकान से नहीं खरीदना है.  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के लिए क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में बीमारी के मध्यम स्तर वाले रोगियों में रेमडेसिविर के उपयोग की सिफारिश की है.