नौसेना दिवस: नौसेना दिवस से ठीक एक दिन पहले राजधानी दिल्ली में चीफ ऑफ नेवल स्टॉफ, एडमिरल सुनील लांबा से सालाना प्रेस कांफ्रेंस में सवाल पूछा गया कि 1971 के युद्ध और अब में पाकिस्तानी नौसेना को भारत के मुकाबले कहां आंकते हैं तो उन्होनें बड़े ही सहज़ शब्दों में कहा कि ‘पाकिस्तान की तुलना में भारत की समुद्री ताकत कई गुना बेहतर है.’ दरअसल, ये सवाल इसलिए पूछा गया था क्योंकि भारतीय नौसेना हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस, 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय नौसेना के जबरदस्त हमले और जीत के कारण मनाती है. हालांकि, भारतीय नौसेना की नींव ब्रिटिश काल में ही पड़ गई थी, लेकिन नौसेना अपना स्थापना दिवस हर साल 4 दिसम्बर को ही मनाती है. इसकी शुरुआत 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को मिली करारी हार के बाद हुई.


लेकिन अगर आज पाकिस्तान से भारत का समंदर में युद्ध हुआ तो क्या होगा, क्या भारतीय नौसेना टू- फ्रंट वार यानि चीन और पाकिस्तान से एक साथ समंदर में युद्ध के लिए तैयार है. क्योंकि अगर आज भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो इस बात का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है कि चीन का क्या रूख होगा. सामरिक जानकार मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान एक साथ मिलकर युद्ध लड़ेंगे. चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट में अपना नेवल बेस तैयार कर लिया है और पाकिस्तान को पनडुब्बी बनाने में मदद कर रहा है.


ये सवाल भी नौसेना प्रमुख से सालाना प्रेस कांफ्रेंस में पूछा गया. इस पर एडमिरल सुनील लांबा ने कहा, “हमारे लिए कोई टू-फ्रंट यानि मोर्चा नहीं है. हमारे लिए पूरा हिंद महासागर एक फ्रंट है.” नेवी चीफ ने साफ कर दिया कि हिंद महासागर में अगर आज कोई भी युद्ध होता है तो पलड़ा किसका भारी होगा. उन्होनें दो टूक शब्दों में कहा, हिंद महासागर में भारत और चीन का मुकाबला करते हैं तो ‘बैलेंस ऑफ पॉवर’ हमारे पक्ष में है. ये बात जरूर है कि साउथ चायना शी में चीन का दबदबा है.


आपको यहां ये बताना जरूरी है कि भारतीय नौसेना 1971 के युद्ध के दौरान से ही टू-फ्रंट यानि पूर्वी तट (यानि कोलकता, हल्दिया, विशाखापट्टनम और तमिलनाडु) से लेकर पश्चिमी तट (गुजरात के द्वारका, औखा, मुंबई, गोवा, कारवार और कोच्चि) तक बेहद मजबूत रही है. 1971 के युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत के एयरबेस पर हमले किए तो इसका कड़ा जवाब भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हुए हमले से दिया. पाकिस्तानी नौसेना के कराची स्थित मुख्यालय को बेहद क्षति उठानी पड़ी, तीन युद्धपोत तक बरबाद हो गए थे. इन हमलों को पश्चिमी तट यानि गुजरात के ओखा और द्वारका में तैनात भारत के जंगी जहाजों ने अंजाम दिया था. भारतीय नौसेना ने इस मिशन को ‘ऑपरेशन ट्राईडेंट’ का नाम दिया था.


इसी युद्ध के दौरान पूर्वी तट पर विशाखापट्टनम बंदरगाह के करीब पाकिस्तान की पनडुब्बी, गाज़ी रहस्यमयी तरीकों से डूब गई थी. हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि ये पनडुब्बी तकनीकी कारणों से डूब गई थी जिसमें पाकिस्तानी नौसेना के 93 नौसैनिक समंदर में मारे गए थे, लेकिन इसके घटना और पनडुब्बी के डूबने के बारे में अभी भी काफी रिसर्च होनी बाकी है. इसके बाद भारतीय नौसेना ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत को पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) की समुद्री सीमा में तैनात किया और वहीं से चितगांव, खुलना, कॉक्स-बाजार बंदरगाहों पर इतनी बमबारी की कि पाकिस्तान के पांव उखड़ गए.


भारतीय नौसेना ने पूरे हिंद महासागर (पूर्वी क्षेत्र में अरब सागर और पश्चिम में बंगाल की खाड़ी) में अपना ऐसा दबदबा कायम किया कि पाकिस्तान की पूरी की पूरी सप्लाई-लाइन ही काट दी और पूर्वी पाकिस्तान में रि-इनफोर्समेंट का रास्ता ही बंद कर दिया. जिसके चलते ही पाकिस्तानी थलसेना को 93 हजार सैनिकों के साथ बांग्लादेश में भारतीय सेना के सामने सरेंडर करना पड़ गया और यह इतिहास बन गया. यही वजह है कि भारतीय नौसेना आज पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किए हुए है. भारतीय नौसेना अपने 127 युद्धपोत जिनमें 14 फ्रीगेट्स, 11 डेस्ट्रोयर्स, 22 कोर्विट्स और 16 पनडुब्बियों (दो परमाणु पनडुब्बियां भी) के साथ आज एक ‘ब्लू-वॉटर नेवी’ बन गई है. इसके अलावा कोस्ट-गार्ड के गश्ती-जहाज भी भारत के जंगी बेड़े में शामिल हैं.


सोमवार को ही नौसेना प्रमुख ने बताया कि इसके अलावा 32 युद्धपोतों का निर्माण अलग-अलग शिपयार्ड में चल रहा है. भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, विक्रांत 2020 तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. जबकि दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का डिजाइन भी शुरु हो चुका है, जो माना जा रहा है कि एक न्युक्लिर एयरक्राफ्ट कैरियर होगा. सरकार ने हाल ही में 56 नए जंगी जहाज और 06 पनडुब्बियों की और मंजूरी दे दी है. भारतीय नौसेना का लक्ष्य वर्ष 2050 तक 200 जंगी जहाज और 550 लड़ाकू विमानों के साथ एक ‘वर्ल्ड क्लॉस मिलिट्री’ बनना है. ताकि हिंद महासागर के साथ-साथ प्रशांत महासागर (‘इंडो-पैसेफिक’) में भी अपना दबदबा कायम किया जा सके.


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