'कोई भी पार्टी ये नहीं चाहती..', चुनावों में रिमोट वोटिंग मशीन की प्लानिंग पर विपक्ष का वार
विपक्ष के नेताओं का कहना है कि चुनाव में वोटरों की भागीदारी को बढ़ाने के अन्य रास्ते भी हैं. और अगर सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव हो वहां RVM से वोट डलवाए जाएं, यह हमें अस्वीकार्य है.”
Remote voting Machine: चुनावों में रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) के इस्तेमाल की आवश्यकता पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग (Election commission) से चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी वर्ग की उदासीनता के मुद्दे का समाधान करने का भी अनुरोध किया है. सोमवार को कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक ऐसी मशीन न लाई जाए.
RVM की कार्य प्रणाली के प्रदर्शन के लिए चुनाव आयोग (EC) द्वारा आयोजित राजनीतिक दलों की बैठक में हिस्सा लेने के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘कोई भी विपक्षी दल रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) के प्रदर्शन को नहीं देखना चाहता. पहले ऐसी मशीन की आवश्यकता का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए.’’
विपक्षी दलों के नेता उठा रहे RVM की जरूरत पर सवाल
मध्य प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय ने कहा, ''हमें लगता है कि जब तक आम सहमति नहीं बन जाती, तब तक RVM का प्रदर्शन न हो.'' उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल प्रदर्शन देखने को तैयार नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘‘RVM का विचार स्वीकार्य नहीं है.’’
दिग्विजय ने कहा कि आयोग को देश के विशिष्ट नागरिकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के बारे में उठाई गई चिंताओं का समाधान करना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया के प्रति शहरी उदासीनता के मुद्दे को भी संबोधित करना चाहिए.
आम आदमी पार्टी ने उठाया सवाल
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह ने भी RVM की जरूरत पर सवाल उठाया और कहा कि मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ाने के दूसरे रास्ते भी हैं. उन्होंने कहा, “हम विभिन्न राज्यों में RVM का इस्तेमाल करने वाले पात्र प्रवासी मजदूरों के बीच प्रचार अभियान कैसे चलाएंगे? अगर सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव है, उदाहरण के तौर पर जालंधर में, तब RVM अस्वीकार्य है.”
चुनाव आयोग ने सियासी दलों को किया था आमंत्रित
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन के प्रदर्शन के लिए 8 राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 57 दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था. सूत्रों के अनुसार, बैठक में 8 राष्ट्रीय दलों और राज्यों के मान्यता प्राप्त 40 दलों ने दिनभर इस पर चर्चा की और उन मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति जताई, जो मतदान नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के 80 प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के विचारों को ध्यानपूर्वक सुना और इस विषय पर सभी दलों को आमंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल की सराहना की.
राजनीतिक दलों ने चर्चा के लिए भविष्य में नियमित अंतराल पर ऐसी ही बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया. कुछ राजनीतिक दलों ने RVM का प्रदर्शन राज्यों में भी करने का आग्रह किया. सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने RVM के संदर्भ में राजनीतिक दलों को अपने विचारों पर लिखित प्रतिवेदन सौंपने की समय सीमा 28 फरवरी 2023 तक बढ़ा दी है.
'RVM किसी भी तरह इंटरनेट से नहीं जुड़ी होगी'
इससे पहले, चुनाव आयोग ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा विकसित RVM किसी भी तरह से इंटरनेट से नहीं जुड़ी होगी.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा था
पिछले महीने चुनाव आयोग ने कहा था कि अगर यह पहल लागू की जाती है, तो प्रवासियों के लिए इससे ‘‘सामाजिक बदलाव’’ हो सकता है. प्रत्येक मशीन के जरिये 72 निर्वाचन क्षेत्रों में रह रहे प्रवासी मतदाता दूरस्थ मतदान केंद्र से अपना वोट डाल सकेंगे.
RVM के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए कानून में आवश्यक बदलाव जैसे मुद्दों पर जनवरी के अंत तक राजनीतिक दलों को अपने विचार लिखित रूप में देने के लिए भी कहा गया था.
विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक
अधिकतर विपक्षी दलों के नेताओं ने रविवार को कांग्रेस द्वारा आयोजित एक बैठक के बाद RVM पर चुनाव आयोग के प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया था. इस बैठक में जनता दल यूनाइटेड(JDU), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M), नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), विदुथलाई चिरुथईगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के नेताओं के साथ-साथ राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य और कांग्रेस (INC) नेता व वकील कपिल सिब्बल ने भी हिस्सा लिया था.
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