हरिद्वार के चार धार्मिक स्थलों को हटाने पर अस्थायी रोक, कुंभ मेले के चलते SC ने दी राहत
मामले की सुनवाई के दौरान अखाड़ा परिषद के वकील ने यह स्वीकार किया कि चारों निर्माण सिंचाई विभाग की ज़मीन पर हुए हैं.बेंच ने कहा कि वह राज्य सरकार को 31 मई 2021 तक का समय देने के लिए तैयार है.
नई दिल्ली: हरिद्वार के 4 धर्मस्थलों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को मई 2021 तक का समय दिया है. हाई कोर्ट के आदेश पर चल रहे अतिक्रमण विरोधी मुहिम के खिलाफ अखाड़ा परिषद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. राज्य सरकार ने भी अगले साल मार्च और अप्रैल के बीच कुंभ मेले के आयोजन के चलते हरिद्वार के 4 धर्मस्थलों को हटाने पर अंतरिम रोक की मांग की थी.
उत्तराखंड हाई कोर्ट राज्य में अवैध तरीके से बने धार्मिक स्थलों को हटाने के मसले ओर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. हाई कोर्ट ने इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के ही 2009 में आए फैसले को आधार बनाया है. तब सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई के लिए कहा था.
हाई कोर्ट के दखल के बाद पूरे उत्तराखंड में अवैध धर्मस्थलों पर कार्रवाई जारी है. लेकिन हरिद्वार का संत समाज बैरागी कैंप इलाके में बने 4 मंदिरों को हटाने का विरोध कर रहा था. 2010 में हुए पिछले कुंभ के दौरान अस्थायी निर्माण के लिए मिली जगह पर यह स्थायी निर्माण किया गया है. अब 2021 में होने वाले कुम्भ का हवाला देते हुए इन्हें न हटाने की मांग की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अखाड़ा परिषद के वकील ने यह स्वीकार किया कि चारों निर्माण सिंचाई विभाग की ज़मीन पर हुए हैं. उत्तराखंड सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि पूरे राज्य में हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जा रहा है. हरिद्वार में भी 30 से ज़्यादा अवैध निर्माण हटाए गए हैं. लेकिन अगले साल कुंभ मेले के आयोजन की वजह से 4 निर्माण को फिलहाल बनाए रखना उपयोगी होगा.
जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने इस दलील को स्वीकार कर लिया. बेंच ने कहा कि वह राज्य सरकार को 31 मई 2021 तक का समय देने के लिए तैयार है. कुम्भ मेले के समापन के बाद वह सार्वजनिक भूमि और बने इन 4 धार्मिक स्थलों को हटा दी.