बीजेपी महासचिव सीटी रवि ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर करने की मांग की है. पिछले कुछ सालों में भारत में शहरों और विश्वविद्यालय के नाम बदलने को लेकर राजनीति तेज हुई है. उत्तर प्रदेश में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया और इसके अलावा इलाहाबाद का भी नाम बदलकर प्रयागराज किया गया है. हालांकि यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि जब देश के पहले प्रधानमंत्री के नाम पर बने यूनिवर्सिटी का नाम एक अन्य महापुरुष के नाम से बदलने की मांग हो रही है.


क्या सरकार के निशाने पर है जेएनयू


इंदिरा गांधी शासनकाल में बना जेएनयू सत्ता विरोधी चरित्र के लिए जाना जाता है. वामपंथी छात्र संगठनों के इस गढ़ में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह को भी यहां विरोध झेलना पड़ा है. पिछले चार सालों में कई मौके ऐसे मौके आए हैं जब यहां के छात्रों का टकराव केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से हुआ है. यह यूनिवर्सिटी दक्षिण पंथी समूहों के निशाने पर रहा है. जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जब से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है तब से यह यूनिवर्सिटी आए दिन चर्चा के केंद्र में बना रहता है.


पहले भी बदले हैं यूनिवर्सिटी के नाम


बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बिहार यूनिवर्सिटी का नाम 1992 में बदलकर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी कर दिया गया था. इससे एक साल पहले ही संविधान निर्माता बाबासाहेब को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी. 1875 में सर सैय्यद अहमद खां के प्रयासों की बदौलत अलीगढ़ में मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज' की स्थापना की गई थी. जल्द ही यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों को अंग्रेजी शिक्षा देने वाला प्रमुख केंद्र बन गया. 1920 में इस कॉलेज का नाम बदलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किया गया.


इसके अलावा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी का नाम भी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय किया गया. महात्मा गांधी जब बनारस पहुंचे थे तो उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से पहले इसका नाम काशी नगरी के नाम पर रखने की मांग की थी. हालांकि पहले जिन विश्वविद्यालयों के नाम बदले गए थे, उनमें महापुरुषों के नाम से छेड़छाड़ नहीं किया गया था. इस बार जेएनयू के नाम बदलने की मांग राजनीति से प्रेरित लग रही है.


इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम बदलने की मांग


करीब डेढ़ साल पहले जब इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था तभी से इस विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास जारी है. हालांकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने नाम बदलने की मांग को ठुकरा दिया है. शहर में इलाहाबाद नाम से अब सिर्फ विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट ही बचे हैं. भारत में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पुराने सिर्फ बंबई, कलकत्ता और मद्रास यूनिवर्सिटी है. आजादी के बाद इन शहरों के नाम बदल गए लेकिन यूनिवर्सिटी के नाम आज भी वही है.


कांग्रेस ने कहा, नई यूनिवर्सिटी बनाएं केंद्र सरकार


 कांग्रेस ने कहा है कि इस संस्थान का नाम बदलने के बजाय स्वामी विवेकानंद के नाम पर दिल्ली में इससे भी बेहतर विश्वविद्यालय बनाना चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने कहा, 'नाम बदलने की राजनीति में हम कभी भी विश्वास नहीं रखते हैं और एक व्यक्ति का नाम बदल कर दूसरे व्यक्ति के नाम पर रखने से मैं समझता हूं कि कोई व्यक्ति छोटा नहीं होता है और कोई व्यक्ति बड़ा नहीं होता है.'


उन्होंने कहा, 'किसी एक विश्वविद्यालय का नाम बदलकर आप कोई विकास का काम तो नहीं कर रहे हैं. विवेकानंद जी का हम सब सम्मान करते हैं. मैं खुद बचपन से उनका बहुत बड़ा अनुयायी रहा हूं. उनके नाम पर नया विश्वविद्यालय बनाएं, जेएनयू से बेहतर बनाएं, वो होना चाहिए.'


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