नई दिल्ली: नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर के नवीनीकरण को मंजूरी मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते कैबिनेट से मंज़ूरी मिल सकती है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक होनी है. जानकारी के मुताबिक य़ह नया एनपीआर नहीं होगा. साल 2011 में जनगणना से पहले एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी.


जनगणना की प्रक्रिया के तहत ही साल 2010 में घर घर जाकर पूछताछ की जाती है उसी के तहत एनपीआर का प्रावधान किया गया था. इसके बाद 2015 में अपडेट किया गया और इसका डिजिटलीकरण किया गया. अब एक बार फिर इसे अपडेट किया जाएगा. फिलहाल एनपीआर के मसौदे को लेकर स्पष्टीकरण नहीं है.


साल 2021 में जनगणना होनी है, एनपीआर नवीकरण की प्रक्रिया के तहत अगर किसी के परिवार में कोई सदस्य जुड़ा है तो उसका नाम इसमें डाला जाएगा. इसके साथ ही जो लोग माइग्रेट करके इधर से उधर जाते हैं, उनका नाम भी जोड़ा जाएगा.


जानकारी के मुताबिक अब जो एनपीआर बनाया जाएगा उसमें यह भी जोड़ा जाएगा कि अगर किसी व्यक्ति के अभिभावक कहां पैदा हुए, इसे लेकर भी जानकारी मांगी जाएगी. इस बिंदु को लेकर विवाद भी सामने आ रहा है. हालांकि एक बार फिर स्पष्ट कर दें कि एनपीआर के नवीनीकरण का मसौदा तैयार नहीं है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी.


एनपीआर को लेकर शुरू हुआ विवाद
केरल सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि वो एनपीआर का विरोध करेगी. केरल सीएम के कार्यालय की ओर से कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिये एनआरसी लागू की जाएगी. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के कार्यालय ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि एनपीआर संवैधानिक मूल्यों से दूर करता है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचारधीन है.


क्या होता है एनपीआर?
- डेटाबेस में डेमोग्राफी और बायोमेट्रिक की जानकारी होगी.
- देश के हर नागरिक की पहचान का डेटाबेस तैयार करना उद्देश्य है.
- 6 महीने या इससे ज्यादा समय से किसी इलाके में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी
- 2011 जनगणना के साथ 2010 में एनपीआर का डेटाबेस तैयार किया गया था.