Renouncing Citizenship: गुजरात में रहने वाले लोगों में भारत की नागरिकता छोड़ विदेश में बसने की घटनाएं बढ़ रही हैं. एक साल में पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. जनवरी 2021 से 1187 लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ी है. 2023 में 485 पासपोर्ट सरेंडर किए गए जो 2022 में सरेंडर किए गए 241 पासपोर्ट की संख्या का डबल है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्पल पटेल नाम के एक शख्स ने 2011 में अहमदाबाद छोड़ा था. वो उत्तरी कनाडा में पढ़ने के लिए गए थे और 2022 तक उत्पल ने कनाडा की नागरिकता ले ली और 2023 तक अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर दिया. गुजरातियों में इस तरह की प्रवत्ति में बढ़ावा देखने को मिला है.


भारत छोड़ विदेशों में बस रहे गुजराती


लोकल पासपोर्ट ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक, सूरत, नवसारी, वलसाड़ और नर्मदा सहति दक्षिण गुजरात के इलाके में लोग अपना पासपोर्ट सरेंडर कर रहे हैं. मई 2024 में ये आंकड़ा 244 पर पहुंच चुका है. अधिकारियों ने इस बात को नोटिस किया है जिन लोगों ने पासपोर्ट सरेंडर किए हैं उनमें 30 से 45 साल के लोग हैं. इनमें से ज्यादातर लोग अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में बसे हैं.


संसद के आंकड़ों से भी मिलता है बल


संसदीय आकंड़े इसका समर्थन करते हुए दिखाई देते हैं, जिसके मुताबिक, 2014 से 2022 के बीच गुजरात के 22 हजार 300 लोगों ने अपनी नागरिकता त्यागी है. सबसे ज्यादा दिल्ली के 60 हजार 414 और पंजाब के 28 हजार 117 लोगों के बाद तीसरे नंबर गुजरात का नंबर आता है. खासतौर कोविड पीरियड के बाद इसमें ज्यादा इजाफा हुआ.


एक अधिकारी ने नाम का खुलासा न करते हुए बताया कि ज्यादातर युवा पढ़ाई के मकसद से विदेश जाते हैं और बाद में वो वहीं बस जाते हैं. वहीं, पासपोर्ट सलाहकाल रितेश देसाई ने कहा कि उम्मीद है कि 2028 तक पासपोर्ट सौंपने वालों की संख्या में भारी इजाफा होगा क्योंकि विदेश पहुंच चुके लोग वहां की नागरिकता पा रहे हैं.


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