रिपोर्ट का दावा: JEE (Main) में सेकेंड अटैम्ट में 25 प्रतिशत छात्रों के स्कोर में हुआ सुधार
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि JEE (Main) में सेकेंड अटैम्ट में 25 प्रतिशत छात्रों के स्कोर में सुधार हुआ है. बता दें कि JEE (Main) के लिए कैंडिडेट पहले दो अटैम्ट कर सकता था लेकिन इस साल से वह चार बार इस परीक्षा को दे सकता है और अपने स्कोर में सुधार कर सकता है.
JEE(Main) में दो वर्षों में कम से कम 25% कैंडिडेट्स ने सेकेंड अटैम्ट में अच्छा स्कोर किया है. बता दें कि साल 2019 में सेकेंड अटेम्प्ट का ऑप्शन दिया गया था. कई मामलों में स्टूडेंट्स ने दो अटैम्प के बीच लोअस्ट परसेंटेज से हाईएस्ट परसेंटेज पर जंप किया है. ये दावा टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में किया गया है.
बार-बार मौके मिलने की वजह से कैंडिएट स्कोर में कर रहे हैं सुधार
गौरतलब है कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए NEET-UG अभी भी वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है जबकि JEE (Main) लिखने वाले छात्रों के पास 2019 से दो बार कंप्यूटर-आधारित परीक्षा देने का विकल्प है, और इस वर्ष से ये विकल्प चार बार हो गया है. रिपिट अटैम्ट का मौका मिलने की वजह से कैंडिडेट अपने स्कोर में सुधार कर पा रहे हैं.
79% उम्मीदवारों ने 2020 में दो बार JEE (Main) दिया
टाइम्स ऑफ इंडिया के द्वारा एक्सेस किए गए डेटा से पता चला है कि लगभग 79% उम्मीदवारों ने 2020 में दो बार JEE (Main) दिया है. यह 2019 में दो बार परीक्षा देने वाले 61% से कहीं ज्यादा है. साल 2021 में, लगभग 48% उम्मीदवारों ने दो बार परीक्षा लिखी और यह संख्या बढ़ना निश्चित है क्योंकि चार ऑप्शनल टेस्ट में से केवल दो को ही कंडक्ट किया गया है
2020 में पहले और दूसरे अटैम्पट के बीच 80 प्रतिशत से नीचे वाले लगभग 3,700 छात्र 90 से 100 प्रतिशत के टॉप बैंड पर चले गए. इनमे से 128 छात्रों का दो प्रयासों के बीच 0 से 20 प्रतिशत के जंप के बाद स्कोर 90 प्रतिशत से अधिक हो गया. बता दें कि 2019 में, 434 छात्र थे जिन्होंने अपने परिणाम को दूसरे प्रयास में काफी सुधार के रूप में देखा.
2020 में सभी 1.27 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स का स्कोर सुधरा
इंजीनियरिंग कोर्स में प्रवेश पाने के लिए छात्रों को 80 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है. 2020 में सभी 1.27 लाख से अधिक उम्मीदवारों (कुल का 26%) ने अपने स्कोर में सुधार किया. 2019 में, 2 लाख से अधिक छात्रों ने अपने स्कोर में सुधार किया. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 2020 में, 10,000 से ज्यादा कैंडिडेट्स ने अपने स्कोर में दूसरे अटैम्पट में 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत या उससे अधिक का सुधार किया. वर्ष 2019 में छात्रों की संख्या 17,000 से अधिक थी. इसमें कोई दो राय नही है कि परीक्षा देने के लिए कई मौके देने से काफी लाभ भी होता है. 2021 से पॉसिबल टेस्ट ऑप्शन की संख्या को चार तक बढ़ाने का निर्णय सही दिशा में एक कदम है. बहुत से कंपटीटिव एग्जाम भी ऐसा ही करने जा रहे हैं. एनईईटी ने इसकी शुरुआत भी कर दी है.
स्कूलों की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी दो अटैम्पट की सिफारिश
गौरतलब है कि 2020 में घोषित नई शिक्षा नीति ने स्कूलों की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी दो प्रयास की सिफारिश की थी. इसे लागू करना भारतीय स्कूल शिक्षा में सबसे प्रगतिशील सुधारों में से एक होगा. वर्तमान में, बोर्ड परीक्षा में असफल होने पर छात्रों को सीखने और प्रोत्साहित करने के बजाय दंडित किया जाता है.
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