नई दिल्ली: संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है. अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने संसद को अबतक सिर्फ 22 बार ही संबोधित किया है. बड़ी बात यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान संसद को 48 बार संबोधित किया था. तब गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘मौन मोहन’ कहा था.


लोगों से संवाद करने में विश्वास रखते हैं मोदी


लेख में कहा गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद को नज़रअंदाज कर रही है. लेख के मुताबिक, मोदी संसद के बजाय सीधे लोगों से संवाद करने में विश्वास रखते हैं. चाहे वो रेडियो के ज़रिए 'मन की बात' हो (इंदिरा गांधी की तरह) या फिर सोशल मीडिया के ज़रिए सीधे लोगों से जुड़ना. ये लेख क्रिस्टॉफ जाफरलू और विहांग जुमले की संयुक्त बाइलाइन के साथ छापा गया है.


लेख के मुताबिक-




  • अटल बिहारी वाजपेयी ने छह सालों में 77 बार संसद को संबोधित किया.

  • मनमोहन सिंह ने दस सालों में 48 बार संसद को संबोधित किया.

  • क़रीब दो साल के लिए पीएम रहे एचडी देवगौड़ा ने पीएम मोदी से ज्यादा बार संसद को संबोधित किया.


मोदी सरकार ने ज्यादातर अपनाया अध्यादेश लाने का रास्ता


लेख के मुताबिक, संसद को नजरअंदाज करके मोदी सरकार अध्यादेश का रास्ता अपनाती है. मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार हर साल औसतन 11 अध्यादेश लेकर आई. वहीं, मनमोहन सरकार हर साल औसतन 6 अध्यादेश लेकर आती थी. मोदी सरकार में संसदीय समिति में भी बिल भेजने की रवायत कम हो गई.


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