Deaths in India due to Malnutrition: भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 68 प्रतिशत मौतों का कारण अभी भी कुपोषण है. इस बात का पता संयुक्त रूप से भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा किए गए एक अध्ययन में चला है. इंडिया स्टेट-लेवल डिसीज बर्डन इनीशिएटिव द्वारा किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ में प्रकाशित किया गया है. यह रिसर्च भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान परिषद (ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की मदद से स्वास्थ्य मैट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान द्वारा संचालित किया गया था.


अध्ययन के रिपोर्ट के मुताबिक देश में 1990 से साल 2017 के बीच पांस साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण से होने वाली मौत की दर में कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि यद्यपि 1990 के बाद से बच्चों में कुपोषण से होने वाली मौतों की मात्रा में दो-तिहाई की कमी आई है फिर भी जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 68 प्रतिशत मौतों का कारण कुपोषण है.


राष्ट्रीय दर की तुलना में कुपोषण के मामले राज्य स्तर पर सात गुना अधिक पाए गए हैं. सबसे अधिक कुपोषण राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड और त्रिपुरा में पाया गया. कुपोषण से होने वाली मौतों के लिए जन्म के समय बच्चों का कम वजन मुख्य रूप से जिम्मेदार पाया गया है. बच्चों का समुचित विकास न होना भी कुपोषण से जुड़ा एक प्रमुख जोखिम है.


शोधकर्ताओं ने कहा है कि 21 फीसदी बच्चों का वजन जन्म से ही काफी कम होता है. यह संख्या यूपी में सबसे ज्यादा 24 फीसदी और मिजोरम में सबसे कम 9 फीसदी है.राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय बच्चों के कम वजन के मामलों में 1.1 फीसद की दर से वार्षिक गिरावट हुई है. राज्यों के स्तर पर यह गिरावट दिल्ली में सबसे कम 0.3 फीसद और सिक्किम में सबसे अधिक 3.8 फीसद देखी गई है. वहीं झारखंड की स्थिति सबसे चिंताजनक है. अध्यन में पता चला है कि झारखंड में 42 फीसद बच्चे कम वजन से ग्रस्त पाए गए हैं.


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