तब्लीगी मरकज मामला: SC ने सरकार से पूछा- झूठी और सांप्रदायिक खबरों की शिकायत पर क्या कार्रवाई की?
तब्लीगी मरकज मामले में रिपोर्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि सरकार ने अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है?
![तब्लीगी मरकज मामला: SC ने सरकार से पूछा- झूठी और सांप्रदायिक खबरों की शिकायत पर क्या कार्रवाई की? Reporting the Tablighi Markaz case, the SC asked the government what action was taken on the complaint of false and communal news? तब्लीगी मरकज मामला: SC ने सरकार से पूछा- झूठी और सांप्रदायिक खबरों की शिकायत पर क्या कार्रवाई की?](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/05/27205315/sc.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्लीः तब्लीगी मरकज मामले में मीडिया की रिपोर्टिंग को झूठा और सांप्रदायिकता फैलाने वाला बताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि सरकार ने अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है? अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.
इस मसले पर आज कुल 4 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई के लिए लगी थीं. याचिकाकर्ता थे- जमीयत उलेमा ए हिंद, अब्दुल कुद्दुस लस्कर, डी जे हल्ली फेडरेशन ऑफ मसाज़िद मदारिस और पीस पार्टी. जिरह की कमान संभाली जमीयत की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने.
दवे ने कहा, “तब्लीगी मरकज मामले में मीडिया ने झूठी और भ्रामक खबरें दिखाईं. देश के बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक तबके के खिलाफ भड़काया. 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेग्युलेशन) एक्ट की धारा 19 और 20 में सरकार को यह अधिकार है कि वह इस तरह के चैनलों के खिलाफ कार्रवाई कर सके. लेकिन सरकार निष्क्रिय बैठी है.“
इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “हमने पिछली सुनवाई में आपसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को पक्ष बनाने के लिए कहा था. आज प्रेस काउंसिल के वकील यहां बैठे हैं. हम उनको भी सुनना चाहेंगे. साथ ही केंद्र सरकार से भी जानना चाहेंगे कि उसे क्या कहना है.“
केंद्र की तरफ से मौजूद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा, “हमें आज तक याचिका की कॉपी ही नहीं दी गई है. फिर हम जवाब कैसे दे सकते हैं?” कोर्ट ने जमीयत के वकीलों की लापरवाही पर हैरानी जताते हुए कहा, “आपने सरकार को अब तक याचिका की कॉपी ही नहीं सौंपी? बिना उनका जवाब लिए हम कैसे कोई आदेश दे सकते हैं?”
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से टीवी न्यूज़ चैनलों की संस्था न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को भी पक्ष बनाने के लिए कहा. इसका विरोध करते हुए दुष्यंत दवे ने कहा, “यह एक निजी संस्था है. इसे कोई कानूनी शक्ति हासिल नहीं है.“ लेकिन कोर्ट का कहना था कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई आदेश देना उचित होगा.
सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील दुष्यंत दवे बार-बार इसे बहुत गंभीर मसला बताते रहे. अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की दुहाई देते रहे. आखिरकार चीफ जस्टिस को कहना पड़ा, “आप एक ही बात दोहरा रहे हैं कि यह मामला गंभीर है. हम हर मामले को गंभीरता से ही लेते हैं. इस मामले को भी ले रहे हैं. तभी तो सुनवाई हो रही है. आप चाहते हैं कि हम अभी कोई आदेश दे दें. लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में सभी पक्षों को सुनना जरूरी होता है.“
इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सरकार और दूसरे पक्षों को याचिका की कॉपी सौंपने के लिए कहा. कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करे. जजों ने सरकार से बताने को कहा है कि उसने याचिकाकर्ता की तरफ से गलत और सांप्रदायिक बताई गयी खबरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है. कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून-व्यवस्था बरकरार रखना सरकार की ज़िम्मेदारी है. उसे किसी को भी इसे बिगड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
मरकज़ मामले में लापरवाही पर भी मांगा जवाब आज तब्लीगी मरकज़ से जुड़ी एक और याचिका पर भी कोर्ट ने जवाब मांगा. इस याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया गया है. कोर्ट ने सभी पक्षों से इस पर 1 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा.
याचिकाकर्ता सुप्रिया पंडिता का कहना है कि जिस तरह से व्यस्त इलाके में मरकज़ की अवैध बहुमंजिला इमारत बनने से लेकर महामारी के दिनों में वहां कार्यक्रम के आयोजन, विदेश से आए लोगों का जमघट, जैसी हर बात में अधिकारियों की भूमिका शक के दायरे में है. ऐसे में पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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