कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पिछले साल मार्च के महीने से ही बंद पड़ी अधिकतर ट्रेनें अब चलने लगी हैं. कोरोना महामारी के बीच सतर्कता के साथ लोग लंबी दूरी की यात्रा के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल फिर से करने लगे हैं. इस बीच, ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिनमें यह कहा गया कि रेलवे की तरफ से पैसेंजर ट्रेनों के लिए ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं. इसको लेकर रेलवे ने गुरुवार को सफाई दी है.
किराया बढ़ने की बात को रेलवे ने किया खारिज
रेलवे मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए यात्रियों से ज्यादा पैसे वसूले जाने की रिपोर्ट को भ्रामक और आधारहीन करार दिया है. जारी बयान में कहा गया है कि त्योहारों के दौरान यात्री ट्रेनों की बढ़ती मांग को देखते हुए फेस्टिवल ट्रेनें चलाई गईं. भीड़ को कम करने के लिए ये ट्रेनें लगातार चल रही हैं. व्यवस्था के मुताबिक, ऐसी ट्रेनों का किराया 2015 के बाद से अधिक रखा गया है. इस साल भी इसमें किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. रेलवे की तरफ से बयान में आगे कहा गया है कि पॉलिसी के मुताबिक स्पेशल फेयर केस में भी 2s पैसेंजर्स से 15 रुपये से अतिरिक्त नहीं वसूला जा सकता है.
क्या थी रिपोर्ट्स, जिसे रेलवे ने किया खारिज?
ऐसी रिपोर्ट्स थी की जनरल क्लास में सफर करने वाले यात्रियों को टिकट अब बिना रिजर्वेशन के नहीं मिलेगा. चाहे वो कितना भी छोटी अवधि का सफर क्यों न करें. ऐसे में पहले से अधिक जेब यात्रियों को टिकट बुक करते समय करने होगी. इसके अलावा ट्रेन आने से सिर्फ आधे घंटे पहले टिकट विंडो ओपन होगी और यहां भी यात्रियों को रिजर्वेशन वाला टिकट ही मिलेगा.
गौरतलब है कि रेलवे की तरफ से कोविड-19 के प्रसार को रोकथाम के लिए 22 मार्च से बंद ट्रेनों का संचालन चरणबद्ध तरीके से किया गया है. कोरोना के समय में भी रेलवे ने संचालन शुरु किया और करीब 60 प्रतिशत के क्षमता के साथ यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाया. इस समय कुल 1058 मेल/एक्सप्रेस, 4807 उपनगरीय सेवाएं और 188 यात्री ट्रेनें नियमित रूप से चल रही हैं.
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