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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

ऐतिहासिक: इस गणतंत्र दिवस भारत के अतिथि होंगे ASEAN के 10 देशों के प्रमुख, कूटनीतिक लहज़े से बेहद खास होगी इनकी उपस्थिति

इस साल के गणतंत्र दिवस के समारोह के दौरन इन 10 देशों के प्रमुख भारत के चीफ गेस्ट होंगे. ये ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले किसी रिपब्लिक डे परेड में एक साथ 10 देशों के प्रमुखों ने हिस्सा नहीं लिया.

नई दिल्ली: एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस यानी आसियान के 10 सदस्य देश इस गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के अतिथि होंगे. इसे देश के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत बताया जा रहा है. इस साल के गणतंत्र दिवस के समारोह के दौरन इन 10 देशों के प्रमुख भारत के चीफ गेस्ट होंगे. ये ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि इससे पहले किसी रिपब्लिक डे परेड में एक साथ 10 देशों के प्रमुखों ने हिस्सा नहीं लिया. आमतौर पर गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर किसी एक राष्ट्र प्रमुख की मौजूदगी का ही इतिहास रहा है.

इन 10 देशों के प्रमुखों के साथ जिन मुद्दों पर चर्चा होने वाली है उनमें साउथईस्ट एशिया के साथ भविष्य में भारत के रिश्ते अहमा मुद्दा होगा. अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के तहत तेज़ी से पांव पसार रहे चीन पर भी लगाम लगाने की कोशिश करेगा.

इसके लिए व्यापार, निवेश, सुरक्षा सहियोग, बुनियादी ढांचे का निर्माण (infrastructure building) को इन देशों के साथ और बढ़ाने की रणनीति शामिल होगी. इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा (regional security infrastructure) के बनाए जाने के प्रयास को आगे ले जाना भी शामिल होगा. इसे बनाए जाने में भारत की अहम हिस्सादारी मानी जा रही है. इससे एक तीर से दो शिकार करते हुए भारत चीन के बढ़ते प्रभान को भी साधने की कोशिश करेगा.

क्या है आसियान और भारत से कैसे रहे हैं इसके रिश्ते

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साउथ ईस्ट एशिया यानी दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के समूह को आसियान नाम दिया गया है. सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के समूह की तरह ये समूह भी आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए साथ काम करने को प्रतिबद्ध है. इसका हेडक्वार्टर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है. आठ अगस्त 1967 को बना आसियान अपने 50 सालों के इतिहास का गवाह है.

इसके संस्थापकों में थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर जैसे देश शामिल थे. बाद में ब्रूनेई (9184) और वियतनाम (1995) में इसका हिस्सा बने. इसके बाद लाओस और बर्मा भी 1997 में इसके सदस्य बने और बाद में इसमें कंबोडिया को भी शामिल किया गया. 1994 में आसियान में एशियन रीजनल फोरम (एशियाई क्षेत्रीय फोरम) की स्थापना की गई. इसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है. भारत, अमेरिका, रूस, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित एआरएफ के 23 सदस्य हैं.

आसियान के प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों की संप्रभुता (Sovereignty), क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को कायम रखने के अलावा झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा करवाना भी है. भारत आसियान देशों से सहयोग करने और संपर्क रखने का सदा ही इच्छुक रहा है. हाल ही में 13 अगस्त, 2007 को भारत ने आसियन के संग बैंकॉक में सम्मेलन किया, जिसमें कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए थे.

नई दिल्ली में 2008 में हुआ भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आसियान मुख्य केन्द्र बिन्दु रहा था. नए व्यापार ब्लॉक के तहत 10 देशों की कंपनियों और कारोबारियों ने मेले में भाग लिया था. आसियान के सदस्य देशों के उत्पाद व्यापार मेले में खूब दिखे थे. आसियान भारत का चौथा सबसे बडा व्यापारिक भागीदार है. दोनों पक्षों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार होता है.

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