Shaurya Chakra awardee Mudasir Sheikh Story: 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन लोगों के लिए वीरता पुरस्कारों की घोषणा की गई है, उनमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के शहीद जवान मुदासिर अहमद शेख का नाम भी शामिल है. मुदासिर शेख को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया है. कश्मीर जोन पुलिस ने भी अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है और मुदासिर शेख को याद करते हुए उन्हें सलाम किया है.
कश्मीर एडीजीपी ने ट्वीट में लिखा, ''ऐसे नायक के लिए कोई भी सलामी पर्याप्त नहीं है जो जीवन से बड़ा है और जिसका बलिदान स्वयं मौत को कमजोर करता है. तीन विदेशी आतंकवादियों को मार गिराकर असाधारण बहादुरी दिखाने के लिए शहीद सीटी मुदासिर शेख को शौर्यचक्र से सम्मानित किया गया. बहादुर को सलाम.'' पुलिस ने शहीद की एक तस्वीर भी साझा की है.
मुदासिर अहमद शेख का पूरा प्रोफाइल
25 मई 2022 को जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले क्रीरी इलाके में नजीभट चौराहे पर सुरक्षाबलों की आतंकियों के साथ एक मुठभेड़ हुई थी, जिसमें तीन पाकिस्तानी आतंकी मार गिराए गए थे. ऑपरेशन में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 32 वर्षीय जवान मुदासिर अहमद शेख भी शामिल थे. मुठभेड़ के दौरान शेख शहीद हो गए थे. वह उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के उरी के रहने वाले थे.
इसलिए नाम पड़ा बिंदास भाई
भाई बासित मकसूद ने बताया था कि मुदासिर शेख को उनके निक नेम 'बिंदास भाई' के नाम से भी जाना जाता था. जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल होने के कुछ महीनों बाद उन्हें यह नाम जनता ने दिया था. जनता के बीच उनकी छवि एक बड़े दिल वाले इंसान की थी. वह हमेशा लोगों की मदद करते थे और युवाओं को भविष्य में कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करते थे.
मदद के लिए रहते थे हमेशा तैयार
उनके भाई ने मीडिया को बताया था कि बिंदास भाई का मोबाइल नंबर बारामूला-उरी रोड पर चलने वाले नियमित कैब ड्राइवरों के पास भी था, ताकि वो उन्हें कभी भी मदद के लिए पुकार सकें. पुलिस की ओर से अनावश्यक रूप से पकड़े या परेशान किए जाने पर कैब मदद के लिए ड्राइवर मुदासिर को फोन लगा देते थे.
'हजार आदमियों की जान बचाई, बेटे पर गर्व है'
मुदासिर के पिता मकसूद अहमद शेख भी जम्मू-कश्मीर पुलिस को अपनी सेवा दे चुके हैं. उन्होंने मीडिया को बताया था कि उनका बेटा बहादुर और साहसी था. उन्होंने कहा था, ''वह (मुदासिर) मौत से कभी नहीं डरता था और उसका मानना था कि हम सभी को एक दिन मरना है. वह शहीद है और मुझे उस पर गर्व है.''
मकसूद अहमद शेख ने कहा था, ''इसकी (बेटे) वजह से एक हजार आदमियों की जान बच गई, इसकी खुशी है. वो वापस नहीं आएगा लेकिन हमें फक्र है, हमें फक्र है कि उसने लड़ते-लड़ते जान दे दी.''
10वीं में किया था टॉप
पिता मकसूद शेख के मुताबिक, असाधारण बनने के जुनून ने मुदासिर को पुलिस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था. मुदासिर शेख की मां का ताल्लुक बारामूला के रफियाबाद इलाके से था. छठी की पढ़ाई के बाद मुदासिर रफियाबाद में शिफ्ट हो गए थे और एक स्थानीय स्कूल से दसवीं की पढ़ाई पूरी की थी. पिता मकसूद के मुताबिक, मुदासिर ने दसवीं की परीक्षा में टॉप किया था.
ड्राइविंग सीखने के लिए बचपन में भाग गए थे घर से
पिता मकसूद के मुताबिक, बचपन में मुदासिर एक ड्राइवर के साथ घर से भाग गए थे. उन्हें ड्राइविंग सीखने का शौक था लेकिन परिवार इसके खिलाफ था. छह महीने बाद वह वापस लौटे. पिता ने उन्हें सरकारी नौकरी की तलाश करने के लिए कहा. 2009 में उन्हें जम्मू-कश्मीर एड्स कंट्रोल सोसाइटी में ड्राइवर की नौकरी मिल गई. उस दौरान भी कई लोग सोचते थे कि मुदासिर ड्राइवर के बजाय एक पुलिसवाले हैं.
इसलिए पुलिस में शामिल होना चाहते थे मुदासिर
पिता मकसूद शेख के मुताबिक, 2016 में उनके रिटायरमेंट से पहले मुदासिर उनके पास पहुंचे और कहा कि पुलिस में जाना है. उनके पिता ने जब पूछा कि पुलिस में क्यों जाना है तो मुदासिर ने कहा था कि वह कश्मीर, खासकर उरी के अपने लोगों की मदद करना चाहते हैं, इसलिए पुलिस की नौकरी करना है. मुदासिर को वर्दी पहनने का शौक था और जनता के बीच पुलिस की छवि सकारात्मक बनाने के बारे में सोचते थे.
इसलिए SOG में कर लिया गया था शामिल
पिता मकसूद के रिटायरमेंट के एक दिन बाद मुदासिर को ज्वाइनिंग लेटर मिल गया था. मुदासिर पुलिस में नियुक्ति SPO के रूप में हुई थी लेकिन उनके काम और शरीर के आधार पर उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस के आतंकवाद विरोधी बल, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) में ले लिया गया था. मकसूद के दोस्तों में हर धर्म-संप्रदाय के लोग शामिल थे. 29 मई 2022 को एक सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मुदासिर शेख एक गन के साथ वर्दी में लिप्सिंग करते हुए दिखे थे- बैकग्राउंड में गाना था- हम जिएंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए.
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