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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी

National Flag Tiranga: तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं है. यह भारत की पहचान है. हर देशवासी की आन-बान-शान है. इसके वर्तमान स्वरूप तक पहुंचने और इसके अपनाए जाने की कहानी भी दिलचस्प है.

National Flag Of India: आज देश 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. भारत की महामहिम राष्ट्रपति ने लाल किले पर तिरंगा फहराकर कार्यक्रम की शुरुआत की. इसी झंडे के नीचे भारत की सेनाओं की टुकड़ियां अपने सुप्रीम कमांडर को सलामी देती हैं. तिरंगा सिर्फ एक ध्वज नहीं है बल्कि एक जज्बा है जो हर भारतीय के दिल में फहरा रहा है. 

राष्ट्रीय ध्वज देश की पहचान होती है. दुनिया के हर देश के पास अपना ध्वज होता है. यह उस देश की स्वतंत्रता का प्रतीक होता है. भारत की बात करें तो आजादी मिलने के कुछ दिन पहले ही तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. तारीख थी 22 जुलाई, 1947, इसी दिन भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया गया.

तिरंगा बना राष्ट्रीय ध्वज
26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ तो इसके साथ ही तिरंगा भी भारत का राष्ट्रीय ध्वज बन गया. तिरंगा हर भारतीय की आन-बान-शान है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, इसमें तीन रंग हैं. इसके सबसे ऊपरी हिस्से में केसरिया पट्टी जबकि सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है. बीच में सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग का चक्र बना होता है. यह चक्र अशोक स्तंभ में बने चक्र से लिया गया है. इसमें 24 तीलियां होती हैं.

ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है. इसे आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने बनाया था. लेकिन आज हम तिरंगे को जिस तरह से देख रहे हैं. शुरुआत में यह ऐसा नहीं था. कई बदलावों से गुजरते हुए इसका वर्तमान स्वरूप तैयार हुआ. इसकी कहानी दिलचस्प है.

ऐसे हुआ विकास

Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी1- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का पहला स्वरूप स्वदेसी आंदोलन के दौरान अपनाया गया था. पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 में पारसी बगान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (कोलकाता) में फहराया गया था. यह ध्वज तीन रंगे का था, जिसमें हरे, पीले और लाल रंग की पंट्टियां थीं. इन पट्टियों में कुछ प्रतीक दर्शाएं गए थे. हरे रंग की पट्टी में आठ कलम के फूल, लाल रंग की पट्टी में चांद और सूरज और बीच में पीले रंग की पट्टी में देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम्' लिखा हुआ है.


Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी 2. मैडम भीखाजी कामा द्वारा साल 1907 में पेरिस में भारत के कुछ क्रांतिकारियों की मौजूदगी में फहराए गए ध्वज को दूसरा राष्ट्रीय ध्वज मानते हैं. यह भी पहले ध्‍वज की ही तरह था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी का रंग केसरिया था और कमल के बजाए सात तारे सप्‍तऋषि प्रतीक थे. नीचे की पट्टी का रंग गहरा हरा था जिसमें सूरज और चांद अंकित किए गए थे.


Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी 3. साल 1917 के होम रूल आंदोलन की आड़ में तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को रूप दिया गया. इस ध्‍वज में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां थीं. जिसके अंदर सप्‍तऋषि के सात सितारे थे. बांयी और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक भी मौजूद था. एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.


Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी4. साल 1921 में विजयवाड़ा में हुए भारतीय कांग्रेस कमीटी के सत्र में एक झंडे का इस्तेमाल किया गया जिसे चौधा राष्ट्रीय ध्वज कहा गया. तीन रंगों की पट्टियों में गांधीजी के चरखें के प्रतीक को दर्शाया गया था. इस झंडे में तीन रंग- सफेग रंग के अलावा लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है.


Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी5. साल 1931 में अपनाया गया राष्ट्रीय ध्वज हमारे आज के राष्ट्रीय ध्वज के स्वरूप के बहुत करीब था. इस झंडे में तीन रंग- केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं. सफेद पट्टी के बीचों-बीच गांधी जी के चरखा का प्रकीक बनाया गया था.


Republic Day 2023: 'तिरंगा' कैसे बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जानें इसके अपनाए जाने की दिलचस्प कहानी6. राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की झंडा समिति की तरफ से लिया गया. इस समिति के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे.

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