Fact About National Anthem: जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता!... 1950 में आज (24 जनवरी) ही के दिन इस गीत को भारत के राष्ट्रगान के रूप में चुना गया था. 24 जनवरी 1950 के दिन ही विधानसभा के 308 सदस्यों ने संविधान के दो हैंड रिटेन वर्जन में एक हिंदी और एक इंग्लिश पर सिग्नेचर किया था. राष्ट्रगान के कारण आज के दिन को बहुत उल्लेखनीय माना जाता है. 


राष्ट्रगान को नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गीत की मूल बंगाली रचना का नाम 'भारतो भाग्य बिधाता' से किया था. पूरे गाने में पांच छंद हैं और मूल रूप से बंगाली में लिखा गया था. इस गीत को सार्वजनिक रूप से पहली बार 27 दिसंबर 1911 में टैगोर ने खुद कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था.


साल 1919 में टैगोर ने आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में भी यह गीत गाया था. इसके बाद से ही इसे कॉलेज प्रसाशन ने स्कूल और कॉलेज परिसर में होने वाली डेली सुबह प्रेयर के लिए स्वीकार किया था. 


पहली बैठक का 'जन गण मन' से हुआ था समापन
11 सितंबर 1942 को जर्मन-इंडियन सोसाइटी की बैठक के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसे पहली बार 'राष्ट्रगान' के रूप में संदर्भित किया, लेकिन 1950 में इसे औपचारिक रूप से राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया. रवींद्रनाथ टैगोर ने बांग्लादेश के राष्ट्रगान की रचना भी की थी.


14 अगस्त 1947 की रात जब देश आजाद हुआ जिसके बाद संविधान सभा में पहली बार जब बैठक हुई तो उसका समापन भी 'जन गण मन' से हुआ. हालांकि 'जन गण मन' औपचारिक रूप से राष्ट्रगान नहीं बना था.


इसके बाद 24 जनवरी 1950 को भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए सभा बैठी थी. जिसमें भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने आधिकारिक रूप से 'जन गण मन' को राष्ट्रगान और 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगीत घोषित किया.


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