Republic Day 2023: पद्म पुरस्कार का सम्मान पाने वालों का एलान कर दिया गया है. चिकित्सा (बाल रोग) के क्षेत्र में डॉ. दिलीप महलानाबीस को पद्म विभूषण (मरणोपरांत) दिया गया है. इसके अलावा, 25 लोगों को पद्म श्री से सम्मानित किया गया. दिलीप महलानाबीस को ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन का जनक भी कहा जाता है. उनका निधन पिछले साल अक्टूबर के महीने में हो गया था.
ओरल रीहाइड्रेशन थेरपी को भी प्रचलित करने का श्रेय डॉ. दिलीप महलानाबीस को ही जाता है. उन्होंने साल 1970 के दशक में पश्चिम बंगाल के बनगांव के पास शिविरों में लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों को इलाज करते हुए पहली बार ओआरएस का इस्तेमाल किया था. उनके इस असाधारण काम के लिए उन्हें विश्व स्तर पर पहचान मिली.
साल 1934 में हुआ था जन्म
दिली महालानाबीस का जन्म साल 1934 में अविभाजित बंगाल के किशोरगंज में हुआ था. इसके बाद उन्होंने साल 1958 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की. बाद में वो एक अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग में एक इंटर्न के रूप में काम करने लगे. इसी के साथ-साथ उन्हें इंग्लैंड में मेडिकल स्टडी करने का मौका मिला. ब्रिटिश सरकार ने साल 1950 के दशक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा शुरू की, जिसके लिए उनका भी चयन किया गया.
ओआरएस के लिए नहीं लिया पेटेंट
लंदन और एडिनबर्ग में दो डिग्री हासिल करने के बाद दिलीप लंदन में क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रेन के रजिस्ट्रार के रूप में चुने वाले पहले भारतीय बने थे. दिलीप महलानाबीस के बारे में एक खास बात ये रही कि उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन के अपने आविष्कार के लिए कभी पेटेंट नहीं लिया. जबकि इस सॉल्यूशन ने लाखों लोगों की जान बचाई थी. साल 1990 में उन्हें ढाका में प्रसिद्ध आईसीडीडीआरबी में एक नैदानिक अनुसंधान अधिकारी के रूप में भी तैनात किया गया था. इस पद पर उन्होंने कई साल तक काम किया था.
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