Happy Republic Day 2023: क्या आपके मन में भी कभी सवाल आया है कि जब 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले (Delhi Red Fort) से ध्वजारोहण करते हैं, तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन वह झंडा क्यों नहीं फहराते हैं. क्यों इस दिन पीएम की जगह राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं? अगर आपको इस बारे में जानकारी नहीं है तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे क्या कारण है.
भारत इस बार अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74th republic day) मनाने जा रहा है. यह दिन भारत के संविधान के लागू होने की याद दिलाता है, जो 26 जनवरी 1950 को हुआ था. 1950 के संविधान के साथ, देश को आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य के रूप में जाना गया. इस दिन राजधानी दिल्ली में एक विशाल परेड आयोजित होती है और संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.
प्रधानमंत्री क्यों नहीं फहराते तिरंगा
जब 15 अगस्त 1947 में हमारा देश आजाद हुआ था तब संविधान न होने के कारण भारत के मुखिया प्रधानमंत्री ही थे. इस दिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) ने लाल किले से पहली बार झंडा फहराया था. इसके बाद से हमेशा 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फेहराते हैं. वहीं, 26 जनवरी 1950 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति बन चुके थे और राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है. यही कारण है कि तब से लेकर अब तक 26 जनवरी के दिन राष्ट्रपति तिरंगा फेहराते हैं.
26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडारोहण में अंतर
भारत में इन्हीं 26 जनवरी और 15 अगस्त इन्हीं दो खास दिवसों पर तिरंगा फहराया जाता है. प्रधानमंत्री क्यों 26 जनवरी को तिरंगा नहीं फहराते हैं ये तो हमने आपको बता दिया. अब समझते हैं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता. इसे ध्वजारोहण कहते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस के दिन झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है. संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहते हैं.
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