नई दिल्ली: इस बार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के परेड के मौके पर बहुत कुछ खास होने वाला है. एक ऐसी ही चीज यह है कि इस बार पहली बार इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के चार वेटरन भी राजपथ पर नजर आएंगे. बता दें कि आईएनए को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लीड किया था. यह पहला मौका है जब आईएनए के वेटरन परेड में हिस्सा ले रहे हैं. बता दें कि जबह देश आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था तब उसमें आईएनए ने अहम भूमिका निभाई थी. आईएनए को आजाद हिंद फौज कि नाम से भी जानते हैं.
कब हुई स्थापना
इसकी स्थापना 1942 में साउथ ईस्ट एशिया में हुआ था. आईएनए की शुरुआत रास बिहारी बोस और मोहन सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की थी. उन्होंने 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन किया था. इसका मकसद साफ था कि देश को ब्रितानियां हुकूमत से आजाद करवाना. लेकिन मतभेदों की वजह से इसका पतन होने वाला था कि रास बिहारी बोस ने आईएनए का जिम्मा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया. 21 अक्टूबर 1943 को जर्मनी में नेताजी ने आजाद हिंद फौज का ऐलान किया. बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने साल 1939 में कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था और जर्मनी गए थे.
आईएनए के चार पूर्व सैनिक परेड में लेंगे हिस्सा
इस बार आईएनए के चार को परेड में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया है. पंचकुला के 98 वर्षीय ललित राम, नरनौल से 97 वर्षीय हीरा सिंह, मानेसर से 100 वर्ष के भागमल और चंडीगढ़ से 95 वर्षीय परमानंद यादव, परेड में हिस्सा लेंगे. राजपथ पर परमवीर चक्र विजेताओं के गुजरने के बाद चारों वेटरन एक खुली जीप में गुजरेंगे.