दरअसल, इस साल यूएई के क्राउन-प्रिंस गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि हैं. इसीलिए यूएई की सेना भी भारत की सशस्त्र-सेनाओं के साथ राजपथ पर कदमताल करती दिखेंगी.
पिछले साल, फ्रांस की सेना ने गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड में हिस्सा लिया था. ये पहली बार था कि किसी दूसरे देश की सेना ने परेड में हिस्सा लिया.
इस साल की परेड में पहली बार देश में ही तैयार तोप, धनुष भी दिखाई पड़ेगी. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी), जबलपुर में बनी तोप हाल ही में भारतीय सेना में शामिल हुई है. बोफोर्स तोप के बाद यानि तीस साल बाद कोई तोप सेना में शामिल हुई है. यानि इस साल देश की ताकत का जो नमूना राजपथ पर देखने को मिलेगा, उसमें टी-90 टैंक, बीएमपी मशीन, आकाश और ब्रहमोस मिसाइल, सीबीआरएन (कैमिकल,बाईलोजिकल, रेडियोलोजकल और न्युकिलर रेडिएशन) डिटेक्शन मशीन के साथ साथ धनुष तोप भी जुड़ गई है.
आज एपीबी न्यूज ने परेड में शामिल होने वाले दस्तों की तैयारियों का जायजा लिया. सुबह साढ़े चार और पांच बजे के बीच सभी दस्ते तैयार होना शुरू हो जाते हैं. छह बजे सभी टीम विजय चौक पर पहुंच जाते हैं. यहीं पर सब रिहर्सल करते हैं. हालांकि ये टीमें परेड ग्राउंड में भी प्रैक्टिस करती हैं टीम लीडर्स ने बताया कि अगस्त सितंबर से ही हालांकि ये टीमें अभ्यास करना शुरू कर देती हैं. विजय चौक पर परेड कमाडंर्स अपनी अपनी टीमों को जरूरी दिशा निर्देश देते नजर आते हैं. थलसेना की सिख लाइट इंफेंट्री, इंजीनियर्स, गोरखा और बिहार रेजीमेंट के दस्ते इस साल परेड में हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही दुनिया की अकेली कैवेलरी रेजीमेंट हिस्सा ले रही है. कैवेलरी का एक घोड़ा पिछले 11 साल से लगातार गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले रहा है. सेना की कैवेलरी यूनिट युद्ध में हिस्सा नहीं लेती है. ये सिर्फ सेरीमोनियल कार्यक्रमों में हिस्सा लेती है.
सेना के अलावा वायुसेना और नौसेना के दस्ते भी परेड में हिस्सा लेंगे. नौसेना की झांकी में इस साल पनडुब्बी को मुख्य थीम बनाया गया है. अर्द्धसैनिक बलों में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ के साथ साथ पहली बार एनएसजी के कमॉडों भी परेड में कदमताल करते नजर आएंगे. दिल्ली पुलिस का दस्ता भी परेड में मार्च करता नजर आएगा.