इस साल गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना की ताकत का नमूना तो दिखाई देगा ही साथ ही एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के दौरान जिन हथियारों, टैंक और मिसाइलों को तैनात किया गया है, वो सब भी राजपथ पर नजर आएंगे. फिर चाहे वो ब्रह्मोस मिसाइल हो या फिर दुश्मन के कम्युनिकेशन-सिस्टम को जाम करने वाली समविजय इलेक्ट्रोनिक-वॉरफेयर सिस्टम, टी-90 टैंक और इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल, आईसीवी-सारथ.


ब्रह्मोस मिसाइल


ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. इसे पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर तैनात किया गया है. ये मिसाइल भी इस बार गणतंत्र दिवस परेड में नजर आएगी. बता दें कि इस मिसाइल को रूस की मदद से बनाया गया है. ये मिसाइल भारतीय सेना के तोपखाने का हिस्सा है, जिसका आदर्श-वाक्य है—‘सर्वत्र इज्जत ओ इकबाल’ यानि हर जगह इज्जत और बुलंदी. 400 किलोमीटर तक बिना दुश्मन की रडार में आए ये मिसाइल दुश्मन के इलाके में तबाही मचाने के लिए जानी जाती है. राजपथ पर ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई  कैप्टन मोहम्मद क्यू ज़मन करेंगे.


समविजय’ इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सिस्टम’


डोकलम में ऑपरेशन ज्यूनिपर हो या फिर हाल में पूर्वी लद्दाख में चीन से चल रही तनातनी के दौरान ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड, इन सबके दौरान समविजय इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सिस्टम को जरूर तैनात किया गया. दरअसल ये सिस्टम दुश्मन के कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट तो करता ही है उसे जाम भी कर सकता है, ताकि दुश्मन के कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम को निष्कर्य किया जा सके. समविजय, थलसेना की कोर ऑफ सिग्नल का एक महत्वपूर्ण हथियार है. सिगनल कोर की इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर बटालियन का नेतृत्व कैप्टन शुभम शर्मा करेंगे. अपने परिवार के थर्ड जेनरेशन ऑफिसर, कैप्टन शुभम शर्मा सेना में शामिल होने से पहले सोफ्टवेयर डेवलपर थे. उनके पिता कर्नल विमल राय शर्मा सेना की मेडिकल कोर में थे, जबकि दादा बीएसएफ में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. सेना में कैप्टन शुभम को इलेक्ट्रोनिक-वॉरफेयर का एक्सपर्ट माना जाता है.


शिल्का एंटी एयरक्राफ्ट गन


इस बार परेड में थलसेना की एंटी एयरक्राफ्ट गन, अपग्रेडेड शिल्का गन भी दिखाई देगी. इसकी कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन प्रीति चौधरी होंगी. एनसीसी की एयरविंग कैडेट रह चुकीं कैप्टन प्रीति अपने पिता को सेना में आने के लिए रोल-मॉडल मानती हैं. उनके पिता ओनेरेरी-कैप्टन इंदर सिंह सेना की मेडिकल कोर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और वर्ष 2014 में रिटायर हुए थे. कैप्टन प्रीति राजपथ की परेड में हिस्सा बनाने का मौका मिलने पर खुद को बेहद सौभाग्यशाली और गौरवांवित महसूस कर रही हैं.


टी-90 टैंक


ऐसे समय में जब दुनिया युद्ध के मैदान से टैंक की भूमिका को नकारने जा रही थी, उसी वक्त पूर्वी लद्दाख में जब चीन से टकराव से शुरू हुआ तो भारतीय सेना ने ड्रैगन को रोकने के लिए एलएसी पर टी-90 टैंक को तैनात किया. मिसाइलों से लैस टी-90 टैंक के लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात होने से चीनी सेना के पांव जहां थे वहीं थम गए. गणतंत्र दिवस परेड पर टी-90टैंक का नेतृत्व कैप्टन करनवीर सिंह करेंगे.


आईसीवी, सारथ-टू (2)


 आधुनिक युद्धकला में सेनाओं से धीरे-धीरे इंफेंट्री यानि पैदल सैनिकों की जगह मैकेनाइज्ड-इंफेंट्री ले रही है. मैक-इंफेंट्री में सैनिक इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल (आईसीवी) में सवार होते हैं और बेहद तेजी से युद्ध के मैदान में बख्तरबंद गाड़ी में मूव कर सकते हैं. बड़ी गन और एंटी-टैंक गाईडेड मिसाइल (एटीजीएम) से लैस ये आईसीवी दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला कर सकती हैं. भारतीय सेना की आईसीवी, जिसे सारथ के नाम से जाना जाता है इसे ऑर्डेनंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) ने तैयार किया है. रेगिस्तान हो या फिर पहाड़ या फिर नदी-नाले सभी जगहों को ये सारथ-2 आसानी से पार कर सकता है. एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के दौरान कैलाश हिल रेंज पर टैंकों के साथ इन सारथ व्हीकल्स को तैनात किया गया है. एक आईसीबी में 6-8 सैनिक सवार हो सकते हैं.


गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना के सारथ-2 को कैप्टन अक्षय रस्तोगी कमांड कर रहे हैं . सेना में शामिल होने से पहले कैप्टन अक्षय आईटी कंपनी में काम करते थे. लेकिन देश सेवा और सेना के जुनून के चलते वे आईटी कंपनी की नौकरी छोड़कर सेना में शामिल हो गए हैं.


ब्रिज-लेयिंग टैंक


युद्ध के मैदान में सैनिकों से पहले इंजीनियर कोर का काम शुरू हो जाता है. पैदल सैनिक हो या फिर आईसीवी या फिर टैंकों के मूवमेंट के लिए नदी-नालों पर ब्रिज तैयार करना बेहद जरूरी होता है. भारतीय सेना का टी-72 ब्रिज लेयिंग टैंक महज 3-4 मिनट में पुल तैयार कर सकता है. गणतंत्र दिवस परेड में इस ब्रिज लेयिंग टैंक का नेतृत्व कैप्टन सचित शर्मा और कैप्टन अमित गावर कर रहे हैं. कैप्टन सचित शर्मा के पिता और दादा, दोनों ही ब्यूरोक्रेट हैं. इसके बावजूद उन्होनें देश की सुरक्षा के जुनून के चलते सेना में सेवाएं देना चुना.


पिनाका मल्टीलॉन्च रॉकेट सिस्टम


एक पिनाका सिस्टम महज 3-4 सैंकेंड में ही 12 रॉकेट को एक साथ दाग सकता है. इसके चलते दुश्मन के इलाके को चंद सैकेंड में तो तबाह किया ही जा सकता है, साथ ही दुश्मन पर साईकोलॉजिकल-दवाब बनाया जा सकता है. पिनाका को कैप्टन विभोर गुलाटी कमांड करेंगे.


 थलसेना का मार्चिंग-दस्ता


थलसेना के मार्चिंग दस्ते में जाट रेजीमेंट, गढ़वाल राईफल्स, महार रेजीमेंट, जम्मू-कश्मीर राईफल्स (जैकरिफ), इंजीनियर्स कोर और मद्रास रेजीमेंट की टेरिटोरियल आर्मी की टुकड़ियां दिखाई पड़ेंगी. यानि जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के सबसे सुदूर अंडमान निकोबार में तैनात मद्रास रेजीमेंट की टीए बटालियन इस बार गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा ले रही हैं. मार्चिंग दस्ते में तैनात कमांडर्स का मानना है कि ये परेड ना केवल देशवासियों में सेना और सैनिकों के प्रति भरोसा जताती है कि देश की आन-बान-शान पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी, बल्कि दुश्मनों के लिए भी संदेश है कि अगर भारत से टकराने की हिमाकत की तो उन्हें नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा.


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