Tableau At Republic Day Parade: भारत के 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर देश के अलग-अलग राज्यों की झांकियां देखने को मिलीं. देश में पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की परेड की सलामी ली. परंपरा के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और इसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ.
गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड हुई है. इससे पहले इस जगह को राजपथ के नाम से जाना जाता था. इस परेड में न्यू इंडिया की झलक दिखाई दी. कर्तव्य पथ पर जहां एक ओर शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं दूसरी ओर कर्तव्य पथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकियां भी देखने में बेहद सुंदर और लगीं. इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड में कुल 23 झांकियां निकाली गईं. इनमें से 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियां थीं और 6 झांकियां विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित थीं.
किन राज्यों की झांकी और क्या संदेश
उत्तर प्रदेश
राज्यों की झांकी की अगर बात करें तो शुरुआत करते हैं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से. उत्तर प्रदेश की झांकी में भगवान राम और देवी सीता के वनवास से लौटने पर अयोध्या के लोगों द्वारा उनका स्वागत करते हुए दिखाया गया. साथ ही इस शहर में दीपोत्सव समारोह के आयोजन की झलक भी झांकी में प्रस्तुत की गई.
जम्मू-कश्मीर
देश के 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर आयोजित समारोह में जम्मू एवं कश्मीर की झांकी में ‘‘नया जम्मू एवं कश्मीर’’ के बनने और प्राचीन अमरनाथ गुफा मंदिर आकर्षण के मुख्य विषय थे. सजी-धजी इस झांकी में पिछले कुछ सालों में केंद्र शासित प्रदेश में किए गए पर्यटन के पुनरुत्थान को भी प्रदर्शित किया गया. झांकी के पीछे की तरफ गुलमर्ग के एक रिसॉर्ट में एक आदमी को स्कीइंग करते हुए दिखाया गया जबकि किनारों की तरफ पर ट्यूलिप के पौधे दिखाए गए. दोनों ही घाटी के मुख्य आकर्षण हैं.
लद्दाख
गणतंत्र दिवस समारोह की परेड के दौरान निकाली गई लद्दाख की झांकी में इस केंद्रशासित प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के मनोरम दृष्य और जीवंत संस्कृति की झलक देखने को मिली. लेह और करगिल के कलाकारों की मंडली भी दिखी जो इस झांकी में चार चांद लगाने वाली थी. कर्तव्य पथ पर निकाली गई इस झांकी में सातवीं सदी की गांधार कला आधारित पत्थरों से तराशी गई बुद्ध प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया. करगिल की इन प्रतिमाओं की तरह दुनिया में सिर्फ तीन प्रतिमाएं हैं और इन्हें बामियान की बुद्ध प्रतिमा की श्रेणी का माना जाता है. बामियान की बुद्ध प्रतिमा को अफगानिस्तान के तालिबान शासन में ध्वस्त कर दिया गया था. गणतंत्र दिवस की झांकी में लद्दाख ने बहुत ही गौरवान्वित तरीके से अपनी सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों का प्रदर्शन किया.
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश की झांकी में मकर संक्रांति के दौरान मनाए जाने वाले प्रभला तीर्थम के त्योहार को दिखाया गया, जिसके सबसे आगे के हिस्से में एक बैलगाड़ी थी और जो सभी का ध्यान आकर्षित कर रही थी. इस दौरान झांकी के दोनों ओर महिलाएं पारंपरिक नृत्य कर रही थीं. झांकी में आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले के सभी गांवों के निवासियों द्वारा पालन की जाने वाली 450 साल पुरानी परंपरा और संस्कृति पर प्रकाश डाला गया था.
दादरा, नागर हवेली, दमन एवं दीव
दादरा, नागर हवेली, दमन एवं दीव की झांकी में इस केंद्रशासित प्रदेश की आदिवासी नृत्य कला के कई स्वरूपों, युद्ध से जुड़़ी स्मृतियों और मछली पकड़ने की संस्कृति की झलक देखने को मिली. इस झांकी के जरिये केंद्रशासित प्रदेश के लोक नृत्यों भावड़ा और तारपा को दर्शाया गया. झांकी के मध्य हिस्से में टोकरियां पकड़े महिलाएं ढोल की थाप पर लोक नृत्य करते नजर आईं और पुरुष समुद्र में मछली पकड़ने की मुद्रा से इसके संकेत देते दिखे.
अगले हिस्से में भारतीय नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस खुखरी दिखाई गई जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अरब सागर में दीव के तट पर डूब गई थी.
इसके साथ ही दादरा, नागर हवेली, दमन एवं दीव में मछली पकड़ने की संस्कृति को भी इस झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. इसके लिए झांकी में विशाल नौका प्रदर्शित की गई थी. यह नौका सिल्वासा क्षेत्र में पाए जाने वाले चंदन की लकड़ी से बनी थी. लकड़ी को पुर्तगाली भाषा में ‘सिल्वा’ कहा जाता है. नौका के पीछे दीव के किले की झलक बताई गई थी जो 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने बनवाया था.
झारखंड
गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर निकाली गई झारखंड की झांकी मुख्य रूप से आदिवासी नायक बिरसा मुंडा और राज्य के प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम पर केंद्रित रही. बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आदिवासी समाज में उन्हें भगवान माना जाता है. उनकी प्रतिमा को झांकी के सबसे अगले हिस्से में रखा गया था.
झारखंड की झांकी में मशहूर सोहराय की पेंटिंग की भी झलक पेश की गई. राज्य के हजारीबाग जिले की पहाड़ियों पर गुफाओ में यह चित्रकारी आज भी देखी जा सकती है. झांकी के साथ पाइका नृत्य पेश कर रहे लोक कलाकारों ने परेड स्थल पर मौजूद जन-मानस का मन मोह लिया.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की झांकी में दुर्गा पूजा की समृद्ध विरासत की झलक देखने को मिली. कर्तव्य पथ पर निकाली गई इस झांकी में लाल रंग के बॉडर वाली सफेद की रंग की साड़ी पहने महिलाओं, ‘ढाक’ और ‘धुनुची’ ने लोगों का ध्यान खींचा तथा इसमें प्रदेश की कला और संस्कृति को भी खूबसूरती के साथ दर्शाया गया. पश्चिम बंगाल की झांकी में वही पारंपरिक पंडाल देखने को मिला जो हर साल दुर्गा पूजा में बनाया जाता है. झांकी में कई कलाकार ‘ढाक’ बजाते हुए और कुछ ‘धुनुची’ को घुमाते हुए दिखे. इनमें ज्यादातर महिलाएं थीं.
गुजरात
गुजरात की झांकी में सौर ऊर्जा से संचालित मोढेरा गांव, कच्छी कढ़ाई और परंपरागत भूंगा का प्रदर्शन किया गया. झांकी में गरबा परिधान पहले कलाकारों को प्रस्तुति देते देखा गया. झांकी के अगले हिस्से में कच्छी परिधान पहने एक महिला की प्रतिकृति को दिखाया गया जिसके एक हाथ में सूर्य और दूसरे हाथ में कागज की बनी पवनचक्की का स्वरूप था. यह झांकी सौर और पवन ऊर्जा को प्रस्तुत कर रही थी. महिला के परिधान में परंपरागत कढ़ाई वाली ओढ़नी भी शामिल थी, वहीं झांकी के बीच में पवनचक्कियों और सौर ऊर्जा संचालित गांव के मॉडल थे.
असम
गणतंत्र दिवस पर असम की झांकी में बोड़फुकन, शक्ति पीठों में शामिल कामाख्या मंदिर एवं राज्य की अन्य सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित किया गया. असम की झांकी में शिवसागर जिले के शिव डोल और रंग घर की प्रतिकृति को दर्शाया गया जो आहोम साम्राज्य की शक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. झांकी के साथ पारंपरिक संगीत वाद्यों से सुसज्जित नर्तकों के दल ने बिहू नृत्य का प्रदर्शन किया.
उत्तराखंड
उत्तराखंड की झांकी में वन्यजीवन और धार्मिक स्थलों को प्रदर्शित किया. उत्तराखंड की झांकी में जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान को दर्शाया गया जिसमें हिरण, राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित कई तरह के पशु पक्षी विचरण करते नजर आए. उत्तराखंड की झांकी में जागेश्वर धाम को भी दर्शाया गया. यह अल्मोड़ा जिले में 125 छोटे बड़े प्राचीन मंदिरों का समूह है. झांकी में प्रसिद्ध देवदार के वृक्षों को भी प्रदर्शित किया गया.
हरियाणा
महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश और उनका ‘विराट स्वरूप’ देश के 74वें गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में हरियाणा द्वारा निकाली गई झांकी के केंद्रबिंदु रहे. हरियाणा की झांकी में महाभारत काल की झलक देखने को मिली जिसमें रथ पर सवार अर्जुन को भगवान कृष्ण गीता का उपदेश दे रहे हैं. आगे भगवान कृष्ण का विराट स्वरूप नजर आ रहा है जो पौराणिक गाथाओं के अनुसार, उन्होंने अर्जुन को दिखाया था.
त्रिपुरा
त्रिपुरा की झांकी में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ पर्यटन और जैविक खेती के माध्यम से आजीविका को सतत दर्शाया गया.
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश की झांकी में टूरिज्म को दर्शाया गया. इस झांकी की थीम थी 'अरुणाचल प्रदेश में पर्यटन की संभावना'.
केरल
केरल की झांकी में नारी शक्ति और महिला सशक्तिकरण की लोक परंपराओं की झलक देखने को मिली.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की झांकी की थीम थी 'संतों और देवताओं की भूमि महाराष्ट्र'. महाराष्ट्र की संस्कृति की झलक झांकी में देखने को मिली.
तमिलनाडु
तमिलनाडु की झांकी के जरिए संगम युग से लेकर वर्तमान तक महिला सशक्तिकरण और संस्कृति को उजागर किया गया.
कर्नाटक
कर्नाटक की झांकी में भी नारी शक्ति की झलक देखने को मिली.
ये भी पढ़ें: Republic Day 2023: मेक इन इंडिया, नारी शक्ति, अग्निवीर... 74वें गणतंत्र दिवस की परेड में क्या रहा खास | 10 प्वाइंट्स