Republic Day 2020: 26 जनवरी को राजपथ देश वीरता की मिसाल भारतीय थल सेना की परेड का गवाह बनता है. हमारे देश की मिलिट्री विश्व में तीसरी सबसे बड़ी और दुनिया की पांचवीं सबसे मजबूत सेना मानी जाती है. देश की आजादी के पहले के दौर में ही अधिकांश रेजिमेंट बनाई गईं जिन्हें आजादी के बाद भारतीय सेना में जगह दी गई. यूं तो भारतीय सेना में 62 सैन्य रेजिमेंट्स हैं मगर हम आपको ऐसे 5 महत्यपूर्ण रेजिमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी वीरता और शौर्य की वजह से पूरे देश को उन पर नाज़ है.


पंजाब रेजिमेंट


पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे सबसे पुरानी रेजिमेंट है. इस रेजिमेंट का गठन 1761 में किया गया था. बताया जाता है कि पंजाब रेजिमेंट के सिपाही महाराज रणजीत सिंह की सेना का हिस्सा थे. भारतीय सेना में अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देने वाली पंजाब रेजिमेंट की कई बटालियन अलग-अलग हिस्सों में भारत की रक्षा कर रही है. पंजाब रेजिमेंट के वीर जवानों ने कई युद्धों में भाग लिया है और अपनी वीरता का प्रदर्शन कर कई सम्मान अपने नाम कर चुके हैं. पंजाब रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है 'स्थल व जल'.


राजपूताना राइफल्स


युद्ध क्षेत्र में अदम्य साहस का परिचय देने वाले राजपूताना राइफल्स की हुंकार से दुश्मनों की रूह कांपने लगती है. 1775 में गठित राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना में सबसे पुरानी रेजिमेंट में से एक है. विश्वस्तर पर इस रेजिमेंट ने 1953-54 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान से कोरिया में कस्टोडियन फोर्स (भारत) और 1962 में संयुक्त राष्ट्र मिशन को कांगो में अपना विशेष योगदान दिया था. राजपूताना राइफल्स का आदर्श वाक्य 'वीर भोग्या वसुंधरा' है.


गोरखा राइफल्स


1815 में गठित गोरखा राइफल्स ने कई युद्धों और कुछ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में हिस्सा लिया है. गोरखा रेजिमेंट पहले ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थी, आजादी के बाद यह भारतीय सेना का एक अभिन्न हिस्सा बन गई. गोरखा रेजिमेंट युद्ध के मैदान में अपने साहस के लिए जानी जाती है. वर्तमान में भारतीय सेना में सात गोरखा रेजिमेंट हैं, जिनमें से छह ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थी. एक रेजिमेंट को आजादी के बाद जोड़ा गया. इन सात गोरखा रेजीमेंट्स में '11 गोरखा राइफल्स' को आजादी के बाद भारतीय सेना में जोड़ा गया. इस रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है 'आयो गोरखाली'.


ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट


भारतीय सेना के ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के गौरव और बलिदान का लंबा इतिहास रहा है. ग्रेनेडियर्स पहले विश्व युद्ध के दौरान से ही देश की सेवा कर रहे हैं. इस रेजिमेंट के जवानों ने पहले विश्व युद्ध के साथ दूसरे विश्व युद्ध में अपनी जांबाजी का परिचय दिया है. ग्रेनेडियर्स ने कई महान पुरस्कार और युद्ध सम्मान अपने नाम किए हैं. वर्तमान में ग्रेनेडियर्स के पास भारतीय सेना में वीरता के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान 3 परम वीर चक्र पदक हैं. जो अपने आप में अनूठा है. ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में जाट, राजपूत, डोगरा, गुज्जर, मीना, कच्छी और अन्य भारतीय जातियों का मेल है जो अनेकता में एकता की वास्तविक तस्वीर दिखाता है. इनका आदर्श वाक्य है 'सर्वदा शक्तिशाली'.


जाट रेजिमेंट


जाट रेजिमेंट भारतीय सेना में सबसे लंबे समय तक काम करने वाली इन्फैंट्री रेजिमेंटों में से एक है. पुराने वक्त से ही जाटों को युद्ध में उनके कौशल के लिए जाना जाता है. इस रेजिमेंट ने 1839 से 1947 के बीच 19 युद्धों के लिए सम्मान जीते हैं. जाट रेजिमेंट ने 200 सालों के अपने अस्तित्व के दौरान भारतीय सेना की तरफ से किए गए अलग-अलग अभियानों में भाग लिया है, और आजादी के पहले और बाद में भी विभिन्न युद्धों में सम्मान जीता है. जाट रेजिमेंट सम्मानों के तौर पर भारतीय सेना की सबसे सजावटी रेजिमेंट में से एक है. इस रेजिमेंट को आजादी के बाद 5 युद्ध सम्मान, दो विक्टोरिया क्रॉस, दो अशोक चक्र और कई अन्य पदक से सम्मानित किया जा चुका है. इनका आदर्श वाक्य है 'जाट बलवान, जय भगवान'.