नई दिल्ली: आज से घर खरीदने का हिसाब-किताब बदल जाएगा. आज से देश भर में रियल इस्टेट से जुड़ा नया कानून (RERA) Real Estate Regulation and Development Act लागू होने जा रहा है. कानून के तहत बनने वाली नई अथॉरिटी सुनिश्चित करेगी कि खरीददारों के साथ बिल्डर मनमानी ना कर सके.
घर खरीदने के सपने में झांसे भी बहुत हैं. कभी प्रोजेक्ट अटक गया तो कभी झूठे वादे. कभी अवैध निर्माण तो कभी बिल्डरों की मनमानी. घर लेने वाला अक्सर इस मकड़जाल में उलझ जाते हैं. ऐसी परेशानियों से निजात की उम्मीद है Real Estate (Regulation and Development) Act जिसे रेरा भी कहते हैं.
नई व्यवस्था में ग्राहक के हितों को ध्यान में रखते हुए क्या कुछ प्रावधान किया गया है-
बिल्डरों की क्या जिम्मेदारी बढ़ेगी-
- हर प्रोजेक्ट को शुरु कराने के पहले रेरा के पास रजिस्टर्ड करना होगा.
- कोई प्री लांच सेल नहीं होगी, जिसके झांसे में लोग फंस जाते हैं.
- 500 वर्गमीटर से बड़ा या आठ से ज्यादा अपार्टमेंट हो तो रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा.
- अभी इस प्रावधान के लागू करने की तारीख अधिसूचित नहीं की गयी है.
- अगर मौजूदा प्रोजेक्टर जिन्हें कंपलिशन सर्टिफिकेट नहीं मिला उन्हें भी रजिस्ट्रर्ड कराना होगा.
- नए प्रोजेक्ट के लिए जुटाए पैसे का 70 फीसदी विशेष बैंक खाते में जमा कराना होगा. इस खाते से पैसा उतना ही निकाल पाएंगे जितना प्रोजेक्ट के निर्माण में लगा होगा.
- यदि कब्जा देने में देरी होती है तो 45 दिनो के भीतर-भीतर ब्याज समेत पैसा बिल्डर वापस करेंगे. ब्याज की दर 11-12 फीसदी हो सकती है.
हालांकि खरीदारों की नुमाइंदगी करने वालों को लगता है कि नए कानून को लागू करने के लिए तैयारियां आधी अधूरी है, लिहाजा नए कानून का फायदा मिलने में वक्त लगेगा.
बहरहाल, रियल इस्टेट के बाजार में अभी विवाद की सूरत में खरीदार को लंबी अदालती लड़ाई का सामना करना पड़ता है. लेकिन नए कानून में विवाद सुलझाने के लिए-
- विशेष ट्रिब्यूनल बनाने का प्रावधान किया गया है.
- जो 60 दिनों में ग्राहकों की शिकायतों का निबटारा करेंगे.
- दोषी पाए जाने वाले बिल्डर पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है.
ऐसा नहीं है कि नए कानून में केवल खरीदार के हितों का ध्यान रखा गया है. जानकारों की मानें तो बिल्डर के हित में भी विशेष प्रावधान बनाए गए हैं.
अभी तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा के तहत कानून अधिसूचित किए हैं. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र , मध्यू प्रदेश और बिहार शामिल हैं.
रियल इस्टेट सेक्टर के खिलाड़ी हो या फिर बाजार के जानकार, सभी मानते हैं कि नए कानून से पारदर्शिता आएगी और इसका फायदा पूरे बाजार को मिलेगा. हालांकि कुछ लोगों को राय है कि नए प्रोजेक्ट लांच होने की रफ्तार काफी धीमी हो जाएगी, साथ ही कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है.
आवास मंत्रालय ने पिछले साल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमन और दिउ तथा लक्षद्वीप के लिए कानून अधिसूचित किए थे. वहीं, शहरी विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी के लिए कानून अधिसूचित किए थे.