जमीन के अंदर मिट्टी के बर्तन से निकली बच्ची की सेहत अच्छी, गोद देने पर हो रहा विचार
यूपी में बच्ची को 3 फीट गहरे मिट्टी में दबाकर मरने के लिए छोड़ दिया गया था. बर्तन में उसको लपेटकर ढंक दिया गया थ. लेकिन कहावत है,"जाको राखे साइंया मार सके ना कोई."
नई दिल्ली: ‘जाको राखे साइंया मार सके ना कोई’ वाली कहावत यूपी में सच साबित हुई है. यहां जिस बच्ची को मरने के लिए मिट्टी के बर्तन में जिंदा दफ्ना दिया गया था, अब उसकी हालत ठीक है. हालांकि अभी तक उसके माता-पिता का पता नहीं चल सका है.
ये बच्ची अक्तूबर में एक ग्रामीण को उस वक्त मिली थी जब वो अपनी बच्ची के शव के लिए खुदाई कर रहा था. इस दौरान तीन फीट नीचे उसका बेलचा मिट्टी के बर्तन से टकराकर टूट गया. उसके बाद उसके रोने की आवाज सुनाई दी. जब उसने मिट्टी के ढेर से बर्तन निकाला तो उसमें बच्ची मिली. गंभीर स्थिति में उसे अस्पताल में भर्ती कराया. उस वक्त बच्ची का प्लेटलेट्स काफी गिरा हुआ था. मगर इलाज के बाद उसकी सेहत में सुधार है. डॉक्टर रवि खन्ना ने बताया,”बच्ची दूध वाली बोतल से दूध पी रही है. अब उसका वजन भी बढ़ गया है और बेहतर तरीके से सांस ले रही है.”
बच्ची को जिंदा मार डालने की कोशिश
बच्ची बरेली के चिल्ड्रेन वेल्फेयर अधिकारियों की निगरानी में है. उसके परिजनों का कोई सुराग नहीं लग पाने के कारण उसे किसी के सुपुर्द करने पर विचार किया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि उसका जन्म वक्त से पहले हो गया था. और अस्पताल लाया गया तो उसका वजन 1.1 किलोग्राम था. मगर गुरुवार को जब उसका वजन नापा गया तो 2.57 किलोग्राम निकला और अब बच्ची बिल्कुल स्वस्थ्य है.
डॉक्टरों का मानना है कि बच्ची अपने शरीर पर मौजूद चर्बी पर जिंदा रही होगी. क्योंकि बच्चे अपने पेट, रान और गाल पर चर्बी लेकर पैदा होते हैं. और किसा आपातकाल स्थिति में कुछ देर के लिए इस पर जिंदा रह सकते हैं. उनका कहना है कि बर्तन के अंदर पहले से मौजूद हवा ने उसे ऑक्सीजन मुहैया कराई होगी. पुलिस ने अक्तूबर में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर उसके माता पिता की तलाश में जुड गयी है. पुलिस को शक है कि इस घटना के पीछे बच्ची के माता पिता का हाथ है. हालांकि काफी प्रचार के बाद भी बच्ची के दावेदार सामने नहीं आए हैं.