Covid-19: जानिए कमजोर इम्यूनिटी कैसे बनी क्रोनिक कोविड के लिए खतरा, बचाव के लिए विशेषज्ञों ने दी ये सलाह
Covid-19 News: कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की बीमारी और उसके इलाज में प्रयोग की दवाओं के चलते उनका इम्यूनिटी सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है.
Coronavirus: कोरोना संक्रमण को लेकर वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च सामने आई है. जिसमें संभावित पुराने संक्रमण की जल्द पहचान करने के लिए कमजोर इम्यूनिटी (Weak Immunity) रोगियों की लगातार जांच किए जाने की सलाह दी गई है. वैज्ञानिकों ने 471 दिनों से अधिक समय तक कोविड-19 से संक्रमित रहे एक कैंसर रोगी की रिपोर्ट की जांच के आधार पर ये चेतावानी दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित नवंबर 2020 में पहली बार कोरोना संक्रमित (Corona Infection) पाया गया था, जिसमें हल्के ऊपरी श्वसन लक्षण पाए गए थे जो समय के साथ सुधर गए. हांलाकि, जांच में वह लगातार कोरोना संक्रमण से पॉजिटिव पाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर (Cancer) जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की बीमारी और उसके इलाज में प्रयोग की दवाओं के चलते उनका इम्यूनिटी सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है. ऐसे में कोरोना संक्रमण होने पर मरीज की हालत तेजी से खराब होने लगती है.
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (Yale School of Public Health) के वैज्ञानिकों द्वारा स्वास्थ्य विज्ञान पर आर्टिकल पब्लिश करने वाले एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म medRxiv में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2021 से लेकर मार्च 2022 के बीच रोगी से 30 स्वैब नमूने इकट्ठे किए गए. इस दौरान RT-PCR का इस्तेमाल करके SARS-CoV2 वायरल लोड को मापा गया. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति वायरस से संक्रमित रहा.
इन मरीजों में सबसे अधिक पाया जाता है कोविड म्यूटेशन
रिसर्च में बताया गया है कि मार्च 2022 में B-Cell Lifonga रोग से संबंधित जटिलताओं के कारण स्वाब संग्रह को बंद करना पड़ा था. रिसर्च में सामने आया कि व्यक्ति SARS-CoV2 वंश से संक्रमित था जिसे B.1.517 कहा जाता है, जो कि अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में विलुप्त हो गया था. रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार के मरीज जो पहले से कैंसर, टीबी और एचआईवी जैसी बीमारियों से ग्रस्ति हैं में कोविड-19 वायरस का कारण बनने वाले SARS-CoV-2 के म्यूटेशन सबसे अधिक पाए जाते हैं.
बचाव के लिए दी गई ये सलाह
येल स्कूल में माइक्रोबियल रोगों के महामारी विज्ञान विभाग में कार्यरत क्रिसपिन चागुजा का कहना है कि, "हमारा अध्ययन इस बात का सबूत देता है कि क्रोनिक SARS-CoV2 संक्रमण आनुवंशिक रूप से विविध रूपों के उद्भव के लिए एक स्रोत हो सकता है जो भविष्य में कोविड -19 के खतरा पैदा करने में सक्षम हो सकता है." उन्होंने पुराने संक्रमणों की पहचान और उनका इलाज करने के लिए प्रतिरक्षा संक्रमित व्यक्तियों की संक्रिय जीनोमिक निगरानी का सुझाव दिया है. रिसर्च में ये भी बताया गया है कि इस प्रकार के कोरोना संक्रमित मरीजों को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने तक सेल्फ आइसोलेशन के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए. साथ ही ऐसे मरीजों को जल्द से जल्द कोरोना वायरस की बूस्टर खुराक दिए जाने पर भी जोर दिया गया है.
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