नई दिल्ली: क्या एलईडी लाइट्स आपकी आंखों को नुकसान पहुंचाती हैं? इस बात को सही ठहराने के लिए कोई पैमाना नहीं है लेकिन कई देशों के स्वास्थ्य संगठन कहते हैं कि जोखिम के बातों को खारिज नहीं किया जा सकता है. फ्रांस की सरकारी स्वास्थ्य निगरानी संस्थान ने इस सप्ताह कहा है कि एलईडी लाइट की ‘नीली रोशनी’ से आंख के रेटीना को नुकसान हो सकता है और प्राकृतिक रूप से सोने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.
फ्रांसीसी एजेंसी खाद्य, पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा (एएनएसईएस) ने एक बयान में चेतावनी दी है कि नये तथ्य पहले की चिंताओं की पुष्टि करते हैं कि ‘‘एक तीव्र और शक्तिशाली (एलईडी) प्रकाश ‘फोटो-टॉक्सिक’ होता है और यह रेटिना की कोशिकाओं को कभी सही नहीं होने वाली हानि पहुंचा सकता है और दृष्टि की तीक्ष्णता को कम कर सकता है.’’
भारत में भी एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल काफी मात्रा में होता है. भारत में उपलब्ध अधिकांश एलईडी की उच्च झिलमिलाहट दरें हैं. पिछले कई अध्ययनों में उन कारकों को इंगित किया गया है जो बताते हैं कि झिलमिलाहट आखों के लिए ठीक नहीं है.
एम्स में सामुदायिक चिकित्सा के पूर्व प्रमुख ने कहा कि एलईडी लाईट्स हमारे जीवन का अहम हिस्सा है. हम 10 से 12 घंटे इन बल्बों के नीचे बिताते हैं. अब क्योंकि सरकार भी एलईडी लाईट्स को प्रमोट कर रही है तो ऐसे में यह देखना जरूरी है कि यह सुरक्षा मानक पर खड़े उतरते हैं या नहीं.
इससे पहले युरोपीय आयोग ने कहा था कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह बताए कि एलईडी का सामान्य उपयोग सेहत पर बुरा प्रभाव डालती है. वहीं, इससे पहले ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटेर और बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) भी एलईडी के नुकसान को लेकर रिसर्च कर चुकी है. पिछले साल मैड्रिड और बार्सिलोना में 4,000 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि जो लोग लेड की रोशनी में ज्यादा रहते हैं, उन्हें ऐसी रोशनी में कम रहने वालों की तुलना में स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा डेढ़ गुना बढ़ जाता है.
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