IN DEPTH: संसद में अपने दम पर संविधान संशोधन विधेयक पास नहीं करा पाएगी मोदी सरकार
आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है.
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज बड़ा फैसला करते हुए सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी. मोदी सरकार मंगलवार को इस संबंध में संसद में संविधान संशोधन विधेयक लाएगी. ध्यान रहे कि यह मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा. 50 फीसदी से अलग आरक्षण के लिए सरकार को संविधान संशोधन की जरूरत पड़ेगी और सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार संसद में अपने दम पर संविधान संशोधन विधेयक पास नहीं करा पाएगी. ये विधेयक पास कराने के लिए मोदी सरकार को विपक्ष का साथ जरूरी होगा.
10 फीसदी आरक्षण के फैसले के बारे में जानें
ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा. इसी के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी होगा. इसके लिए संविधान की धारा 15 और 16 में बदलाव करना होगा. धारा 15 के तहत शैक्षणिक संस्थानों और धारा 16 के तहत रोजगार में आरक्षण मिलता है. अगर संसद से ये विधेयक पास हो जाता है तो इसका लाभ ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, कायस्थ, बनिया, जाट और गुर्जर आदि को मिलेगा. हालांकि आठ लाख सालाना आय और पांच हेक्टेयर तक ज़मीन वाले गरीब ही इसके दायरे में आएंगे.
अभी क्या है देश में आरक्षण की व्यवस्था?
आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकुल साफ है. भारत में अभी 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता. (अपवाद, तमिलनाडु में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण है) आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है.
भारत में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था ही नहीं है. इसीलिए अब तक जिन-जिन राज्यों में इस आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में क्या कहा था?
6 नवंबर, 1992 को सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (AIR 1993 SC 477) में अपना फैसला सुनाया. जिसमें माना गया कि अनुच्छेद 16 (4) के तहत कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए.
27 अप्रैल, 2008- सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी (I) (मंडल केस) में दिए गए अपने फैसले को दोहराया कि SC/ST और अन्य पिछड़ा वर्ग या विशेष श्रेणियों के लिए कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. इंद्रा साहनी मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से 'आर्थिक मानदंड' असंवैधानिक थे क्योंकि 'गरीब' की श्रेणी में 'सामाजिक पिछड़ेपन' को प्रतिबिंबित नहीं किया गया था.
अब आगे क्या-क्या होगा?
मोदी सरकार को संविधान संशोधन विधेयक सबसे पहले लोकसभा से पास करना होगा. बता दें कि संविधान में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में उपस्थित और मतदान के लिए 'दो-तिहाई' सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है. लोकसभा में तो किसी तरह मोदी सरकार इसे पास करा सकती है, लेकिन राज्यसभा में उसके पास साधारण बहुमंत भी नहीं है.
अगर संसद से पास हो गया तो क्या होगा?
मान लीजिए मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से विधेयक पास करा भी लिया तो उसे इस विधेयक पर 14 राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी लेनी होगी. याद रहे कि इसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कोई रोल नहीं होगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग कानून है. इसके बाद अगर इस विधेयक को देश के 14 राज्यों की विधानसभाओं ने मंजूरी दे दी तो इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही ये बिल कानून बन पाएगा.
लोकसभा में एनडीए की मौजूदा स्थिति
लोकसभा में फिलहाल 523 सांसद हैं. लोकसभा में दो तिहाई बहुत 348 सांसदों को मिलाकर होगा. लेकिन सिर्फ बीजेपी के पास 268 ही सांसद हैं. एनडीए के बाकी दलों की बात करें तो शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, शिरोमणी अकाली दल के 4, अपना दल के 2, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट का 1, जेडीयू के दो और एनडीपीपी का एक सांसद है. इन सबको जोड़ दिया जाए तो लोकसभा में एनडीए के पास सिर्फ 302 सांसद हैं. ऐसे में सरकार को दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए विपक्ष के 46 सांसदों के समर्थन चाहिए होगा.
राज्यससभा में एनडीए की मौजूदा स्थिति
राज्यसभा में फिलहाल 244 सांसद हैं. राज्यसभा में दो तिहाई बहुत 163 सांसदों को मिलाकर होगा. लेकिन सिर्फ बीजेपी के पास 73 ही सांसद हैं. एनडीए के बाकी दलों की बात करें तो शिवसेना के 3, शिरोमणी अकाली दल के 3, जेडीयू के 6, एसडीएफ के 1 और एनपीएफ का एक सांसद है. इन सबको जोड़ दिया जाए तो राज्यसभा में एनडीए के पास सिर्फ 87 सांसद हैं. ऐसे में सरकार को दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए विपक्ष के 76 सांसदों के समर्थन चाहिए होगा.
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