RSS Wing On Reservation: देश में आरक्षण का मामला हमेशा से ही एक बहस का मुद्दा रहा है. इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की विंग का एक बयान सामने आया है जिसमें कहा गया है कि दलति ईसाइयों और मुसलमानों को आरक्षण की जरूरत नहीं है. दरअसल, संघ परिवार के मास कम्युनिकेशन विंग की ओर से दो दिनों का एक कॉन्क्लेव आयोजित किया गया था जिसमें ये सर्वसम्मति से माना है कि आरक्षण ऐसे दलितों को नहीं मिलना चाहिए जो धर्म परिवर्तन कर चुके हैं.


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सोमवार (07 मार्च) को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की मीडिया शाखा और दूसरे संगठनों ने संयुक्त रूप से आयोजित संगोष्ठी में ये निष्कर्ष निकाला है कि आरक्षण का फायदा ऐसे दलितों को नहीं दिया जाना चाहिये, जिन्होंने धर्मांतरण करके इस्लाम, ईसाई या कोई अन्य धर्म अपना लिया है.


ग्रेटर नोएडा में हुआ कॉन्क्लेव


इस मुद्दे पर गौर करने के लिए केंद्र की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त करने के आलोक में वीएसके ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, और पाक्षिक पत्रिका हिंदू विश्व के साथ मिलकर ‘धर्मांतरण और आरक्षण’ विषय पर इस कॉन्क्लेव का आयोजन किया था. ये आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर मे किया गया था.


विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ संगोष्ठी में सर्वसम्मति से यह बात दोहरायी कि अनुसूचित जाति को आरक्षण धर्म का विषय है. इस अनुसूची में जातियों के चयन का आधार सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक पिछड़ापन है.’’ कुमार ने कहा कि वीएसके के जी बालकृष्णन आयोग को सौंपने के लिए एक ज्ञापन तैयार करेगा और इस मामले में व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध भी करेगा.


आयोग के सामने रखे जाएंगे तथ्य


उन्होंने नेता ने कहा, ‘‘ हम तार्किक और उचित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आयोग के सामने तथ्यों को रखने के लिए सभी संभव कदम उठायेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमानों और ईसाइयों में ओबीसी कई राज्यों में संबंधित कोटा के तहत आरक्षण का लाभ पहले से ही लेते हैं.’’ उन्होंने कहा कि अन्य ‘गरीब मुसलमान और ईसाई’ आर्थिक रूप से कमजोर तबके के आरक्षण के हकदार हैं.


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