Resident Doctor's Strike: NEET PG काउंसिलिंग में देरी से रेजिडेंट डॉक्टर्स नाराज, कल से करेंगे ओपीडी समेत इमरजेंसी सेवा का बहिष्कार
Resident Doctor's Strike: NEET PG की काउंसलिंग में देरी के विरोध में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने 6 दिसंबर से ओपीडी सर्विस के अलावा सभी सेवाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
Resident Doctor's Strike OPD Services: NEET PG की काउंसलिंग में देरी के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर्स की एसोसिएशन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) ने 6 दिसंबर से ओपीडी सर्विस के अलावा सभी सेवाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इसमें इमरजेंसी भी शामिल है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस बारे में देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन से बैठक की थी, जिसमें ये फैसला लिया गया. FORDA के मुताबिक सोमवार से देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर्स अस्पताल में ओपीडी और बाकी जगहों पर काम पर नहीं जाएंगे और स्ट्राइक करेंगे.
इसे पहले 27 नवंबर से रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अपनी मांग को लेकर ओपीडी सर्विस में ना जाने का फैसला किया था. अपनी मांग पूरी होते ना देख रेजिडेंट डॉक्टर की एसोसिएशन FORDA ने फैसला किया है, जिसमें उसे कई आरडीए का समर्थन हासिल है.
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ मनीष ने कहा, पिछली 27 नवंबर को FORDA ने सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रोटेस्ट का एलान किया था और तब से चलता आ रहा है. पहले हमने अपने रेजिडेंट डॉक्टर को ओपीडी सर्विस से हटाया तो हमें लगा हमारी बात सुन ली जाएगी लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई. उसके बाद हमने अपने डॉक्टर्स को रूटीन सर्विस से हटाया तभी हमारी बात नहीं सुनी गई.
परसों FORDA की ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ मीटिंग में ये निर्णय लिया गया कि 6 तारीख से हम अपने रेजिडेंट डॉक्टर को इमरजेंसी सर्विस से भी हटा देंगे. इसके बाद सोमवार से हमारे डॉक्टर्स रूटीन और इमरजेंसी में काम नहीं करेंगे. हमारी सिर्फ एक डिमांड है कि NEET PG 2021 जो काफी लंबे समय से लंबित है उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए. ये पहले ही 8 महीने देरी पर है.
FORDA के मुताबिक NEET PG की दाखिले और शुरुआत में देरी से रेजिडेंट डॉक्टर्स के काम पर असर पड़ रहा है. अक्टूबर में नतीजे आने के बाद भी अभी तक काउंसलिंग शुरू नहीं हुई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मामला है और अगली सुनवाई 6 जनवरी को है. ऐसे में FORDA और बाकी रेजिडेंट एसोसिएशन का कहना है कि इससे मेडिकल छात्रों के साथ-साथ रेजिडेंट डॉक्टर्स और मरीजों को नुकसान हो रहा है.
कोरोना के बाद से लगातार काम करना पड़ रहा है और देरी की वजह से ये दबाव और डॉक्टरों पर आ रहा है. इसलिए मजबूरन ये फैसला लिया गया है. अब रेजिडेंट डॉक्टरों की एसोसिएशन चाहती है इस मामले में तेज़ी आए और केंद्र सरकार इसका कोई हल निकाले. इस स्ट्राइक के दौरान बाकी डॉक्टर्स ओपीडी में मौजूद रहेंगे. सिर्फ जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स ही ओपीडी और बाकी सर्विस में नहीं आएंगे.
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