मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स के समर्थन में दिल्ली में निकाला गया कैंडल मार्च, कई दिनों से कर रहे हैं प्रदर्शन
दिल्ली में एम्स और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में आज एक कैंडल मार्च निकाला. मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों के लिए कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच मध्य प्रदेश सरकार और हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के बीच खींचतान जारी है. अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के लगभग तीन हजार जूनियर डॉक्टर पिछले कुछ दिनों से हड़ताल कर रहे हैं. इस बीच देश की राजधानी दिल्ली में भी जूनियर डॉक्टर्स का समर्थन किया गया है.
दिल्ली में एम्स और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स के समर्थन में आज एक कैंडल मार्च निकाला. मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों के लिए कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.
Delhi: Resident doctors of AIIMS, Delhi held a candle march earlier today in support of the junior doctors in Madhya Pradesh who are protesting over demands including an increase in stipend pic.twitter.com/2c3b9LxhIl
— ANI (@ANI) June 6, 2021
वहीं मध्य प्रदेश में अधिकारियों ने विरोध के तौर पर इस्तीफा देने वाले जूनियर डॉक्टरों को छात्रावास खाली करने और बांड की रकम वापस करने का नोटिस दिया है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दो दिन पहले जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा था.
मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) की सचिव अंकिता त्रिपाठी ने बताया, 'हमारा शांतिपूर्ण विरोध जारी रहेगा. उसने (सरकार ने) हमें भोपाल में सरकारी छात्रावास खाली करने के लिए कहा है. इसके अलावा हमें बांड राशि (लाखों रुपये) का भुगतान करने के लिए कह रहे हैं. जब वे छात्रावास खाली करने के लिए नोटिस दे सकते हैं, तो हमारा मानदेय बढ़ाने का लिखित आदेश क्यों नहीं जारी कर सकते हैं.'
Delhi: Resident doctors of Safdarjung hospital hold a candle march in support of the junior doctors in Madhya Pradesh who are protesting over demands including an increase in stipend pic.twitter.com/JLimfh1tSr
— ANI (@ANI) June 6, 2021
मुद्दे को सुलझाने की कोशिश
त्रिपाठी ने कहा, 'मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने का समय मांग कर हमने इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की है.' यह पूछे जाने पर पर क्या वह उच्चतम न्यायालय में अपील करने जा रहे हैं तो जूडा सचिव ने कहा कि फिलहाल उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है. हालांकि जूडा के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सर्वोच्च अदालत में जाने का विकल्प खुला रखा है.
दूसरी ओर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने उनकी हड़ताल को अवैध करार दिया और 24 घंटे की अंदर काम पर लौटने के लिए कहा है. हम मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत के लिए तैयार हैं. हमने मानदेय में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी मंजूर की है लेकिन वे 24 फीसदी पर अड़े हुए हैं. हमने उनकी लगभग सभी मांगों को मान लिया है.
31 मई से हड़ताल पर
जूडा के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया कि प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध जूडा के तीन हजार सदस्य 31 मई, सोमवार से हड़ताल पर हैं. उन्होंने बताया कि उनकी छह मांगे हैं. इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों एवं उनके परिजनों के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था और कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना आदि शामिल हैं.
मीणा ने कहा कि आश्वासन देने के बाद भी उनके मानदेय में पिछले कुछ सालों से सरकार द्वारा कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. जूडा अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 24 दिन पहले छह जून को उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि राज्य सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आदेश जारी करे.
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