उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने चांदनी चौक में रातों रात तैयार हुए नए हनुमान मंदिर को वैध रूप देने के लिए प्रस्ताव लाने का ऐलान किया था. मंदिर को वैध रूप से स्थापित करने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम की सदन की बैठक ने रेसोलुशन पास कर दिल्ली सरकार की रिलीजियस (धार्मिक) कमेटी के पास भेज दिया है.
इसमें विपक्षी दलों की सहमति भी रही. आज उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने हनुमान मंदिर को वैध बनाने के लिए DMC एक्ट 74 के तहत प्रस्ताव पेश किया जिसका सभी ने समर्थन किया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि मंदिर यातायात में किसी भी तरह से बाधा नहीं डालेगा. चांदनी चौक में जिस जगह पर मंदिर मौजूद था उसका पुनर्निर्माण उसी जगह पर ही होगा. हनुमान मंदिर के साथ निगम की ओर से अब तोड़फोड़ की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी.
उनको प्रोटेक्शन देना हमारी जिम्मेदारी है- महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर जयप्रकाश के मुताबिक ये रिज़ॉल्यूशन पास होना बहुत बड़ी उपलब्धि है. महापौर एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहते हैं कि "दिल्ली का दिल चांदनी चौक है जहां हनुमान जी विराजित थे. अब वापस से हनुमान जी वहां रातों रात विराजित हो गए हैं. उनको प्रोटेक्शन देना हमारी जिम्मेदारी है. मैंने सर्वदलीय बैठक बुलाई. आज DMC एक्ट 74 के तहत ये प्रस्ताव लाए जिसका सबने समर्थन किया है."
इस मामले में आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि और कांग्रेस के प्रतिनिधि से भी बातचीत की गई है. आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि विकास गोयल कहते हैं "दिल्ली की जनता के हक और हित के काम में आम आदमी पार्टी हमेशा काम करती है. ये मंदिर टूटना ही नही चाहिए था. एमसीडी ने जल्दबाजी में तोड़ दिया था जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ये कदम पहले उठा लिया होता तो ये नौबत ही नही आती. हमारी कोई भी प्राचीन धरोहर मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च इत्यादि को संभाल कर रखना हमारा सबका कर्तव्य है."
सभी की सहमति मंदिर को लेकर बनी है- महापौर
मंदिर तोड़ने को लेकर एमसीडी द्वारा की गई कार्यवाही पर सवाल पूछने पर मेयर कहते हैं कि "जब जागो तब ही सवेरा. आरोप प्रत्यारोप की राजनीति समाप्त होनी चाहिए. अब सब ने मिसाल कायम की है, सभी की सहमति मंदिर को लेकर बनी है. दिल्ली सरकार इसको रिलीजियस कमेटी में प्रोटेक्शन देगी , नगर निगम पहले से सुरक्षा दे रही है. हम मिलकर इसकी सुरक्षा करेंगे.
कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि मुकेश गोयल तंज़ कसते हुए कहते हैं कि, "उत्तरी नगर निगम के महापौर दबी आवाज में अपनी गलती तो मान रहे हैं लेकिन स्वीकार नहीं कर रहे. दिल्ली की सरकार और नगर निगम आपस में दोषारोपण कर रहे हैं. अब भी एक दूसरे पर दोष डाल रहे हैं. कोर्ट में मामला चल रहा था तो पहले क्यों संज्ञान नहीं लिया? मंदिर के पुजारी लगातार कह रहे थे कि मंदिर को तोड़ने हेतु नोटिस आए हैं लेकिन तब किसी ने उनके बात को गंभीरता से लेते हुए संज्ञान लिया."
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