दिल्ली में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को परमिट राज से मुक्ति दिलाने और लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये दिल्ली सरकार ने कई अहम फैसले लिये हैं. बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में दिल्ली सरकार के मंत्रियों की नेशनल रेस्टोरेंट आसोसिएशन आँफ इंडिया (एनआरएआई) के साथ बैठक हुई जिसमें रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए.


रेस्टोरेंट संचालकों की ओर से दिये गए सुझावों में कहा गया कि अगर रेस्टोरेंट को 24 घंटे खोलने अनुमति दी जाती है, तो उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ से किसी तरह से परेशान न किया जाए. इस सुझाव पर सहमति जताते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि 24 घंटे रेस्टोरेंट खोलने पर सरकार की तरफ से किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी. अगर कोई अपना रेस्टोरेंट को रात 11 बजे के बाद खोलना चाहता है, तो उसे एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि वो अपने कर्मचारियों आदि की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे. साथ ही, दिल्ली सरकार जो नई एक्साइज पाॅलिसी बनाने जा रही है, उसमें रेस्तरां इंडस्ट्री के दिए गए कुछ सुझावों को भी शामिल करने पर फैसला किया गया है.


रेस्तरां इंडस्ट्री से लाखों का रोजगार


दिल्ली में रेस्तरां इंडस्ट्री से लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है. कई साल से चले आ रहे परमिट राज को खत्म कर रेस्तरां संचालन की व्यवस्था को सबसे बेहतर बनाने की दिशा में कई फैसले लिये गये. एनआरएआई का कहना था कि दिल्ली में रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के क्षेत्र में कारोबार करने में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. उन्हें वैध तरीके से रेस्टोरेंट चलाने के लिए करीब 35 तरह के लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है. नगर निगम भी रेस्टोरेंट संचालक के लिए एक हेल्थ ट्रेड लाइसेंस जारी करता है, जिसे खत्म करने की जरूरत है. इसी संबंध में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) भी लाइसेंस जारी करती है ऐसे में नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी करने का औचित्य नहीं है, क्योंकि वह खुद रेस्टोरेंट की खाद्य सुरक्षा को खुद प्रमाणित करते हैं. इस मांग पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने बैठक में मौजूद एमसीडी के कमिश्नर और अधिकारियों को समीक्षा करके इसे 10 दिन के अदंर खत्म करने के निर्देश दिए.


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रेस्टोरेंट खुदरा व्यापार का हिस्सा


अभी रेस्टोरेंट संचालकों को पुलिस विभाग से ईटिंग हाउस लाइसेंस लेना पड़ता है. इस पर एनएआरआई कि ओर से कहा गया कि रेस्टोरेंट खुदरा व्यापार का एक हिस्सा है और खुदरा प्रतिष्ठान को पुलिस से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री की ओर इस पर उपराज्यपाल से विचार-विमर्श करने का आश्वासन दिया गया. कैबिनेट ने पूर्व में एक आदेश दिया था कि पर्यटन विभाग भी रेस्टोरेंट संचालक के लिए एक लाइसेंस जारी करेगा, सीएम ने इसे शीघ्र समाप्त करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही उत्पाद शुल्क को 31 मार्च तक जमा करने की छूट देने का फैसला किया गया है और उत्पाद शुल्क को बिना किसी ब्याज के तिमाही जमा करने की अनुमति दी गई है.


पुलिस और पर्यटन विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी


एक्ससाइज लाइसेंस के लिये पहले आवेदन तभी कर सकते थे, जब सभी विभागों से लाइसेंस मिल जाता था, इसमें लंबा समय लग जाता था. लेकिन अब एक्साइज लाइसेंस को सुरक्षा के मद्देनजर सिर्फ फायर विभाग से लिंक करने का फैसला लिया गया है और रेस्टोरेंट संचालकों को अब पुलिस और पर्यटन विभाग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी. रेस्टोरेंट को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क दिए खुले क्षेत्रों, बालकनी, बरामदा आदि में भी संचालित करने की अनुमति दी गई है और इसके लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा. लाइसेंस प्राप्त परिसर के अंदर ब्रांडिंग की अनुमति होगी. रेस्टोरेंट में सभी तरह के म्यूजिक जिसमें डीजे, लाइव बैंड आदि शामिल है, इसे अनुमति दे दी गई है.


शुल्क कम करने का सुझाव


पहले किसी विशेष स्थान पर शराब का स्टोर करने का निर्देश था, जिसे समाप्त कर दिया गया है और अब रेस्टोरेंट के लाइसेंस प्राप्त परिसर में कहीं पर भी स्टोर किया जा सकता है. एनआरएआई ने माइक्रोब्रेवरी पाॅलिसी के तहत लगने वाले वार्षिक शुल्क को युक्ति संगत बनाने और शुल्क को कम करने का सुझाव दिया. इस पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि इसकी समीक्षा करके जल्द निर्णय लिया जाएगा.


तकनीकी कमिटी का गठन


नए और पुराने रेस्टोरेंट पर एक समान फायर नॉर्म्स लागू होने से होने वाली दिक्कतों को लेकर सहमति बनी कि जो पुराने बिल्डिंग और मार्केट एरिया हैं, जहां पर रेस्टोरेंट चल रहे हैं, उनकी जांच के लिए एक टेक्निकल कमिटी बनाई जाएगी. यह कमिटी अपने गठन के 10 दिन के अंदर ऐसे सभी रेस्टोरेंट की जांच करेगी और अपना सुझाव देगी. मुख्यमंत्री टेक्निकल कमिटी से मिले सुझावों के आधार पर निर्णय लेंगे.


36 सीट से अधिक वाले रेस्टोरेंट को ईटीपी


दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने ये अनुमति दे रखी है कि जो रेस्टोरेंट 100 सीट से कम के है, उन्हें अलग से एफ्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश भर के लिए एक गाइड लाइन जारी की है, जिसमें कहा गया है कि 36 सीट से अधिक वाले रेस्टोरेंट को ईटीपी लगाना चाहिए. रेस्टोरेंट संचालकों का कहना था कि दिल्ली के रेस्टोरेंट के आसपास इतनी जगह नहीं है, जिसमें ईटीपी भी लगाया जा सके. डीपीसीसी ने रेस्तरां संचालकों की मांग पर सहमति जताते हुए कहा कि सीपीसीबी को पत्र लिखकर सुझाव दिया जायेगा कि 100 से कम सीट वाले रेस्टोरेंट में ईटीपी लगाने की आवश्यकता नहीं है. नगर निगमों को पत्र लिखा जायेगा जिसमें स्पष्ट किया जाएगा कि लकड़ी के चारकोल दिल्ली में मान्य हैं, और इसके लिए सिर्फ डीपीसीसी ही जांच और चालान कर सकती है.


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