नई दिल्ली: असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों का नाम नहीं होने को लेकर विवाद जारी है. इन लोगों में सेना के एक रिटायर्ड जवान भी हैं जिसने देश की रक्षा में 30 साल गंवा दिये लेकिन मौजूदा एनआरसी ड्राफ्ट ने उसे नागरिक नहीं माना.


अजमल हक नाम के जवान 1986 में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे और 2016 में जेसीओ के पद से रिटायर हुए. लेकिन एनआरसी का ड्राफ्ट जारी हुआ तो इनकी जिंदगी में भूचाल आ गया क्योंकि तमाम वैध दस्तावेज जमा कराने के बावजूद इनका नाम एनआरसी में नहीं है.


अजमल कारगिल से लेकर पाकिस्तान से सटे पंजाब तक में तैनात रहे लेकिन उन्हें संदिग्ध बता दिया गया. दरअसल, 2017 में फारेनर्स ट्रिब्यूनल में हक को तलब किया गया था और उनसे अपनी नागरिकता के प्रमाण भी मांगे गए थे. इससे पहले 2012 में उनकी पत्नी को भी नोटिस ट्रिब्यूनल ने भेजा लेकिन सारे कागजात कोर्ट में दिखाने के बाद मामला वापस ले लिया गया. अब उनके बेटे और बेटी का नाम एनआरसी से गायब है.


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भारत से फरार उल्फा नेता बरुआ का नाम
एनआरसी लिस्ट में एक नाम उल्फा के चीफ रहे उग्रवादी परेश बरुआ का है. लिस्ट ने उसे भारतीय नागरिक माना है. बताया जा रहा है कि वो कहीं विदेश में भूमिगत जीवन जी रहा है. लेकिन परेश बरुआ की पत्नी और बच्चों के नाम एनआरसी ड्राफ्ट में नहीं हैं.


लोगों के नाम गायब होने पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि एनआरसी ड्राफ्ट कोई फाइनल लिस्ट नहीं बल्कि मसौदा है और जो गलतियां हुई हैं,उन्हें सुधारने का मौका लोगों को दिया जाएगा.


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