पटना: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है. अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. बावजूद इसके मरीजों को छोड़कर आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घर आठ दिनों तक सरकारी डॉक्टरों की तैनाती की गई है.
पिछले दिनों पटना में लालू यादव के घर पर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी (IGIMS) के तीन डॉक्टरों और दो स्टाफ नर्स की तैनाती लालू के घर पर उनकी तीमारदारी के लिए की गई. अस्पताल में इन डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करना था, लेकिन वो मरीजों को छोड़कर लालू की सेवा में तैनात किए गए.
ये कहावत पुरानी है कि सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का... दरअसल लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं. अब जब बेटा ही स्वास्थ्य मंत्री हो तो डॉक्टरों की फौज की तैनाती घर पर क्यों न हो... अगर ऐसा न हो तो ये रुतबे के खिलाफ होगा, लेकिन लालू प्रसाद यादव सूब के सीएम रहे हैं, केंद्र सरकार में कई भारी भरक मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई है.. कम से कम उन्हें इसका ख्याल होना चाहिए था कि एक ऐसे राज्य में जहां सरकारी अस्पताल खस्ताहाल हैं, मरीज़ों के लिए जरूरी डॉक्टरों की कमी है.. ऐसी बेहिसी की उम्मीद तो लालू से नहीं की जा सकती थी, इसलिए अब लालू इस मामले मेें फंस गए हैं.
एबीपी न्यूज के पास (IGIMS) के मेडिकल सुप्रिंटेंडेट की वो चिट्ठी है जो लालू के घर पर डॉक्टरों की तैनाती की गवाही दे रही है. ये डॉक्टर 31 मई से आठ जून तक यानी कुल आठ दिन तक लालू के घर पर तैनात रहे.
लालू यादव ने 11 जून को ही अपना 70वां जन्मदिन मनाया है. उससे पहले वो बीमार चल रहे थे. मीडिया मैं अब एक पत्र सामने आया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के तीन बड़े डॉक्टर और दो मेल नर्स 31 मई 2017 से लेकर 08 जून, 2017 तक लालू यादव के सरकारी आवास पर ड्यूटी में पदस्थापित थे. आठ जून को जारी आईजीआईएमएस कार्यालय के आदेश के मुताबिक उन लोगों की आगे की ड्यूटी फिर से इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में लगाई गई है.
सुशील कुमार मोदी ने साधा निशाना
इस मामले पर एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि लालू को मरीज़ों की दिक्कतों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर लालू ज्यादा बीमार थे तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होना चाहिए था.
सुशील कुमार मोदी ने इस मामले में सीएम नीतीश को हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को तेजप्रताप यादव से पूछना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. सुशील ने कहा कि जब पहले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बुरी हलात है ऐसे में इस तरह की घटना से देश में क्या संदेश जाएगा.
बता दें कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है. मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल में सुविधाएं और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है लेकिन यहां वीआईपी लोगों की सेवा में जरुरत से ज्यादा सरकारी डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है.