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एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सबरीमाला विवाद, पुनर्विचार याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई
राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन के अलावा नायर सेवा समाज (एनएसएस) ने भी याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर फिर से विचार की मांग की है.
नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उसके फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को सुनवाई के लिए लिस्ट किए जाने की तारीख पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला करेगा. सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एस.के. कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा की इस दलील पर विचार किया कि संवैधानिक पीठ के फैसले पर फिर से विचार की मांग कर रही उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए.
पीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि 19 पुनर्विचार याचिकाएं लंबित हैं. हम कल (मंगलवार) तक फैसला करेंगे. नेदुम्परा राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर वकील के तौर पर पेश हुए और मामले की जल्द सुनवाई का अनुरोध किया. पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने 4:1 के अनुपात से फैसला सुनाया था कि सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए. बीते 9 अक्टूबर को कोर्ट ने नेदुम्परा की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था.
पीठ ने कहा था कि दशहरा की छुट्टी के बाद ही पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है और यह सुनवाई खुली अदालत में न होकर कक्ष में होगी. राष्ट्रीय अयप्पा श्रद्धालु संगठन के अलावा नायर सेवा समाज (एनएसएस) ने भी याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर फिर से विचार की मांग की है.
आगे की कानूनी प्रक्रिया पर टीडीबी आज फैसला लेगा
सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयु की महिलाओं के प्रवेश को लेकर उठे विवाद के बीच मंदिर का प्रबंधन करने वाले बोर्ड ने सोमवार को कहा कि श्रद्धालुओं के विश्वास और मंदिर की परंपराओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी उसकी है और वह मंगलवार को यानि आज इस पर फैसला करेगा कि सुप्रीम कोर्ट में उसे क्या रुख अपनाना है.
बोर्ड के प्रमुख ए पद्मकुमार ने कहा कि त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड की आज बैठक होगी और तय किया जाएगा सुप्रीम कोर्ट में उसका कानूनी रुख क्या होगा. कोर्ट के भगवान अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के हाल के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं.
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के हितों की रक्षा करना टीडीबी की नैतिक जिम्मेदारी है. हमें मंदिर की रीतियों और परंपराओं को भी देखना होगा. बोर्ड इन्हें नुकसान पहुंचाए बिना सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेगा.
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