(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोविड वैक्सीनेशन पर 21 जून से लागू होगी केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी, ये है गाइडलाइन्स
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कई राज्य सरकारों का सुझाव था कि स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर सीधे टीके की खरीद और उन्हें अपनी प्राथमिकता के अनुसार देने के लिए लचीलेपन की अनुमति दी जाए.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैक्सीन को लेकर ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है, जो 21 जून से पूरी तरह से लागू होगी. इसके मुताबिक देश में वैक्सीन निर्माताओं के जरिए उत्पादित किए जा रहे टीकों का 75% खरीद केंद्र सरकार करेगी और खरीदे गए टीके राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को नि:शुल्क दिए जाएंगे. वहीं राज्यों की जनसंख्या, संक्रमितों की संख्या और वैक्सीनेशन की रफ्तार के हिसाब से केंद्र सरकार वैक्सीन देगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कई राज्य सरकारों का सुझाव था कि स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर सीधे टीके की खरीद और उन्हें अपनी प्राथमिकता के अनुसार देने के लिए लचीलेपन की अनुमति दी जाए, जिसके बाद भारत सरकार ने दिशानिर्देशों को संशोधित किया. 1 मई से नए संशोधित दिशानिर्देशों के तहत, भारत सरकार उत्पादित वैक्सीन का 50% खरीद रही थी और प्रायोरिटी ग्रुप का वैक्सीनेशन करने के लिए राज्यों को मुफ्त देना जारी रखा. वहीं राज्य सरकार और निजी अस्पतालों को भी अब बाकी 50% वैक्सीन पूल से सीधे खरीद करने का अधिकार दिया गया था.
हालांकि कई राज्यों ने कहा की वैक्सीन को लेकर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. टीकों के फंडिंग, खरीद और लॉजिस्टिक के प्रबंधन की वजह से राष्ट्रीय COVID टीकाकरण कार्यक्रम की गति को प्रभावित किया. वहीं ये भी देखा गया कि छोटे और दूरस्थ निजी अस्पतालों को भी कई दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था. इन सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 1 मई से अभी तक के अनुभव और राज्यों से बार-बार प्राप्त अनुरोध के बाद राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण के दिशानिर्देश की समीक्षा और संशोधन किया गया है.
वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए राज्यो को केंद्र ने नई एडवाइजरी जारी की है, जो 21 जून से पूरी तरह से लागू होंगी. इन गाइडलाइन्स के मुताबिक---
- देश में वैक्सीन निर्माताओं के जरिए उत्पादित किए जा रहे टीकों का 75% खरीद केंद्र सरकार करेगी और खरीदे गए टीके राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को नि:शुल्क दिया जाएगा. जैसा कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शुरू से होता आ रहा है. ये प्राथमिकता के अनुसार सभी नागरिकों को राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा सरकारी टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से निःशुल्क दिए जाएगा.
- भारत सरकार राज्यों को मुफ्त में उपलब्ध कराए गए टीके की खुराक के संबंध में हेल्थकेयर वर्कर, फ्रंट लाइन वर्कर्स, 45 साल से ज्यादा उम्र के लोग, उन लोगों को जिनकी दूसरी खुराक बाकी और 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाएगी.
- 18 से ऊपर की उम्र के लोगों के टीकाकरण में राज्य को वर्गीकरण की स्वतंत्रता.
- राज्यों की जनसंख्या, संक्रमितों की संख्या और वैक्सीनेशन की रफ्तार के हिसाब से केंद्र सरकार वैक्सीन देगी.
- वैक्सीन वेस्टेज होने पर राज्यों की सप्लाई पर नकारात्मक असर पडेगा.
- वैक्सीन सप्लाई की पूर्व सूचना राज्यों को दी जाएगी. राज्यों को इससे जरूरत के हिसाब से जिला स्तर और वैक्सीनेशन सेंटर तक वैक्सीन पहुंचाने में सुविधा मिलेगी. राज्यों को वैक्सीनेशन सेंटर्स या जिला स्तर पर वैक्सीन की उपलब्धता सार्वजनिक करनी होगी.
- वैक्सीन उत्पादक कंपनियां 25 फीसदी प्रति माह डोज प्राइवेट अस्पतालों को बेच सकेंगे. राज्य प्राइवेट अस्पताल की क्षमता, उसके आकार और स्थानीय संतुलन के हिसाब से वैक्सीन की मांग रखेंगे और केंद्र सप्लाई सुनिश्चित करेगा.
- प्राइवेट अस्पताल वैक्सीन के दाम से ऊपर प्रति डोज 150 रुपये से अधिक सर्विस चार्ज नहीं लेंगे. राज्य सरकारें इसकी निगरानी करेंगी.
- निजी अस्पतालों के लिए टीके की खुराक की कीमत प्रत्येक वैक्सीन निर्माता द्वारा घोषित की जाएगी और बाद में किसी भी परिवर्तन को अधिसूचित किया जाएगा.
- लोक कल्याण के जज्बे के तहत जो लोग आर्थिक रूप से तंग लोगों की मदद करना चाहते हैं वे इलेक्ट्रोनिक वाउचर जारी कर सकते है, ताकि प्राइवेट अस्पताल में ऐसे लोग वैक्सीन ले सकें.
- लोगों की सुविधा के लिए सभी वैक्सीनेशन सेंटर्स पर ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार सुनिश्चित करें.
- राज्य सरकारें वैक्सीन बुकिंग के लिए कॉमन सर्विस सेंटर या कॉल सेंटर भी शुरू कर सकते हैं.
राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 16 जनवरी से 30 अप्रैल 2021 तक भारत सरकार द्वारा टीके की 100% डोज की खरीद की गई और राज्य सरकारों को निःशुल्क दिया गया. बदले में राज्य सरकारें परिभाषित प्राथमिकता समूहों को नि:शुल्क टीकाकरण कराती थीं. बाद में टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए निजी अस्पतालों की भागीदारी को भी सूचीबद्ध किया गया था, जहां व्यक्ति भी निर्धारित दर पर टीकाकरण कराने का विकल्प चुन सकते थे.
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