RG Kar Case : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार (29 नवंबर, 2024) को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की है. यह मामला कोलकाता के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिसमें संस्थान के पूर्व प्रिंसिपल सहित पांच लोगों को आरोपी बनाया गया है.
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि 120 से अधिक पेजों की चार्जशीट कोलकाता के अलीपुर जज की अदालत में विशेष सीबीआई अदालत में पेश की गई और इसमें मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष सहित इस मामले में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों के नाम हैं. आशीष पांडेय, विप्लव सिंह, सुमन हाजरा, संदीप घोष का पूर्व सुरक्षा कर्मी अफसर अली खान, इन सभी पर साजिश, धोखाधड़ी, और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
क्या है मामला?
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं का यह मामला उस समय सामने आया जब मेडिकल उपकरणों और अन्य सामग्रियों की खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई. सीबीआई की जांच में यह पाया गया कि आरोपियों ने साजिश रचकर उपकरणों और सामग्रियों की खरीद में घोटाला किया. सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया, मेडिकल उपकरणों की खरीद में फर्जी बिल और ओवरप्राइसिंग दिखाया गया. सीबीआई ने इस मामले की जांच के दौरान कई दस्तावेजी और फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाए. चार्जशीट में इन आरोपियों पर संगठित साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है.
सीबीआई का बयान
सीबीआई ने अदालत को बताया कि इस मामले में आरोपियों ने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया और सरकारी धन का गलत उपयोग किया. इससे न केवल सार्वजनिक धन की हानि हुई, बल्कि संस्थान की छवि भी खराब हुई.
घोष और तीन अन्य - बिप्लव सिंह, सुमन हाजरा और अफसर अली खान को सीबीआई ने 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था. सिंह और हाजरा कथित तौर पर घोष के करीबी विक्रेता थे, जबकि खान घोष के अंगरक्षक थे. अगले महीने, सीबीआई ने कथित वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में आरजी कर अस्पताल के एक हाउस स्टाफ आशीष पांडे को भी गिरफ्तार किया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है.