कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और मर्डर की घटना को लेकर पिछले 31 दिनों से जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रदर्शनकारी काम पर लौटने के लिए तैयार नहीं हैं. सोमवार (9 सितंबर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन ड्यूटी की कीमत पर नहीं हो सकता. हालांकि, डॉक्टर अभी भी ड्यूटी पर नहीं लौटे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बात करने के लिए ईमेल भेजा, जिसे प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने ठुकरा दिया और इसकी भाषा को अपमानजनक बताया है.


साल्ट लेक में स्वास्थ्य भवन स्थित राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय के सामने धरना देने वाले प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के नेता डॉ. देबाशीष हलदर ने कहा, 'ईमेल की भाषा न केवल हम चिकित्सकों के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह पूरी तरह से असंवेदनशील है. हमें इस मेल का जवाब देने का कोई कारण नहीं दिखता.' इस पर डॉक्टरों ने नाराजगी जताई और कहा कि जब हम यहां बैठे हैं, हमें नाबन्ना क्यों बुलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह अपमानजनक है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मिलने के लिए सिर्फ 10 लोगों को ही बुला रही हैं.


डॉक्टर रकीब ने कहा कि हमें प्रिंसिपल के सक्रेटरी की तरफ से ईमेल मिला है, जिसमें कहा गया कि हम में से 10 लोग जाकर नाबन्ना में सीएम से मिलें. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें साफ हैं और वो लोग पिछले 31  दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और स्थानीयों को भी पता है कि वो क्या चाहते हैं. डॉक्टर रकीब ने कहा कि जब हम लोग यहां बैठे हैं तो बात करने के लिए नाबन्ना क्यों बुलाया जा रहा है. उधर, पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि मंगलवार शाम पांच बजे तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मिलने के लिए डॉक्टरों का इंतेजार करती रहीं, लेकिन कोई नहीं आया. 


पश्चिम बंगाल की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि शाम को पांच बजे तक ममता बनर्जी और सरकार प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का इंतेजार करती रहीं. तब शाम को 6.10 बजे प्रशासन की तरफ से एक ईमेल भेजा गया कि 10 डॉक्टर नाबन्ना में मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं, लेकिन कोई नहीं आया और ममता बनर्जी ने साढ़े सात बजे तक इंतेजार किया. चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वह काम पर वापस लौट जाएं, लेकिन कोई काम पर नहीं गया. राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम द्वारा प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को मंगलवार शाम भेजे गए एक ईमेल में कहा गया है, 'आपका छोटा प्रतिनिधिमंडल (अधिकतम 10 व्यक्ति) सरकारी प्रतिनिधियों से मिलने के लिए नबान्ना का आ सकता है.'


इससे पहले दिन में निकाले गए स्वास्थ्य भवन की सफाई मार्च में जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (DHE) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (DHS) के इस्तीफे की मांग की. उन्होंने इसके अलावा अपने पांच सूत्री मांगपत्र के तहत कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाए जाने पर भी जोर दिया.


चिकित्सकों ने बताया कि हालांकि राज्य के सर्वोच्च प्राधिकारियों के साथ बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं, लेकिन वे अपनी मांगें पूरी होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर वापस नहीं लौटे हैं. इस दौरान अब तक 23 लोगों की जान जा चुकी है. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने डॉक्टरों को मंगलवार शाम को 5 बजे तक ड्यूटी पर वापस लौटने का निर्देश दिया और सरकार से कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. हालांकि, अगर 5 बजे तक वह आ जाते हैं तो कोई एक्शन न लें.


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