सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को कोलकाता के सरकारी आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय में महिला ट्रेनी डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या मामले में सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लिया. कोर्ट ने भरोसा जताया कि इस मामले की सुनवाई एक महीने में पूरी हो जाएगी.


मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टस संजय कुमार की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की रिपोर्ट देखन के बाद बताया कि मुकदमे की सुनवाई सियालदह स्थित विशेष सीबीआई अदालत में रोजाना- सोमवार से गुरुवार तक - चल रही है. कोर्ट ने पाया कि कुल 81 गवाहों में से अभियोजन पक्ष ने 43 गवाहों के बयान दर्ज करा दिए हैं.


कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे लिंग आधारित हिंसा को रोकने तथा अस्पतालों में चिकित्सकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करने के संबंध में अपनी सिफारिशें और सुझाव उसके द्वारा गठित राष्ट्रीय कार्यबल (NTF) के साथ साझा करें. पीठ ने कहा कि एनटीएफ मंगलवार से 12 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट उसके विचारार्थ दाखिल करेगा.


सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, 'सभी सिफारिशें और सुझाव राष्ट्रीय कार्यबल को भेजे जाएं और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा एनटीएफ की अंतिम रिपोर्ट पर जवाब दाखिल किया जाए.' प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त को अस्पताल के सेमिनार कक्ष में पाया गया था. इसके बाद कोलकाता पुलिस ने अपराध के सिलसिले में अगले दिन स्वयंसेवी संजय रॉय को गिरफ्तार किया था.


सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की पृष्ठभूमि में चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने हेतु 20 अगस्त को एनटीएफ का गठन किया था. एनटीएफ ने नवंबर में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है. यह रिपोर्ट केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे का हिस्सा थी.


इसके साथ ही, एनटीएफ ने कहा कि राज्य के कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत गंभीर अपराधों के अलावा दिन-प्रतिदिन के छोटे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं. एनटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें कीं. इसमें कहा गया कि 24 राज्यों ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए पहले ही कानून बना लिए हैं, जिसके तहत ‘‘स्वास्थ्य देखभाल संस्थान’’ और ‘‘चिकित्सा पेशेवर’’ शब्दों को भी परिभाषित किया गया है.


इसमें कहा गया है कि दो और राज्यों ने इस संबंध में विधेयक पेश किये हैं. सीजेआई संजीव खन्ना ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 17 मार्च, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में की जाएगी, लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि यदि दुष्कर्म एवं हत्या मामले की सुनवाई में देरी होती है तो पक्षकार पहले सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं.


इस मामले की जांच शुरुआत में कोलकाता पुलिस कर रही थी लेकिन स्थानीय जांच से असंतुष्ट होने के कारण कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को मामले की निगरानी करने का फैसला किया.


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