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50 सालों की साख, महिला वकीलों की सेफ्टी और सीबीआई जांच... कोलकाता केस की सुनवाई में क्या-क्या हुआ, पढ़ें SC की बड़ी टिप्पणियां

जूनियर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह कोर्ट से अनुरोध किया था कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए. उन्होंने डॉक्टरों को काम पर लौटने को लेकर यह अपील की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (17 सितंबर, 2024) को कोलकाता के आर जी कर सरकारी अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर सुनवाई की. इस सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने हियरिंग की लाइव स्ट्रीमिंग, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के वापस काम पर लौटने और महिला डॉक्टरों की नाइट शिफ्ट को लेकर चर्चा की. कोर्ट ने मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) की जांच में हुए खुलासों को लेकर भी चिंता जताई.

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए और समय दिए जाने की बात कही है. कोर्ट ने कहा कि सच्चाई सामने लाने के लिए जांच एजेंसी को और समय दिया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या-क्या अहम टिप्पणियां कीं, आइए जानते हैं-

  • कोर्ट ने आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष द्वारा कथित रूप से की गई वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर सीबीआई को वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी जांच में सोई नहीं है और उसे सच्चाई सामने लाने के लिए समय दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जब्ती सूची और अपराध स्थल के रेखाचित्र में विसंगतियों का दावा करने वाले वकील से कहा, 'सीबीआई ने रिपोर्ट में जो खुलासा किया है, वह वास्तव में परेशान करने वाला है. आप जो बता रहे हैं, वह अत्यंत चिंता का विषय है. सीबीआई ने जो बताया है, उस पर हम भी चिंतित हैं. हमने जो पढ़ा है, उससे हम परेशान हैं.'
  • सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा और राज्य सरकार का यह आश्वासन दर्ज किया कि वह उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल या दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी. पीड़िता के पिता की ओर से लिखे गए पत्र पर गौर करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि उनके द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी पर जांच अधिकारी को उचित रूप से विचार करना चाहिए. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि जांच एजेंसी पीड़िता के माता-पिता से संपर्क बनाए रखेगी और उनकी वास्तविक चिंताओं को दूर करने के लिए जांच के बारे में उन्हें सूचित रखेगी.
  • पश्चिम बंगाल सरकार के वकील सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके चैंबर की महिला वकीलों को तेजाब हमले और दुष्कर्म की धमकियां मिल रही है. सिब्बल ने कहा, 'जो कुछ हो रहा है, उसकी मुझे बहुत फिक्र है. क्या होता है कि जब आप इस तरह के मामले का सीधा प्रसारण करते हैं तो इनका बहुत ज्यादा भावनात्मक असर होता है. हम आरोपियों की पैरवी नहीं कर रहे हैं. हम राज्य सरकार की ओर से पेश हुए हैं और जैसे ही अदालत कोई टिप्पणी करती है तो हमारी साख रातोंरात बर्बाद हो जाती है. हमारी 50 साल की साख है.' कोर्ट ने एडवोकेट सिब्बल को आश्वस्त किया कि अगर वकीलों और अन्य लोगों को कोई खतरा होगा तो वह कदम उठाएगा, लेकिन सुनवाई के सीधे प्रसारण पर नहीं लगाई जाएगी,
  • पश्चिम बंगाल सरकार के 'रात्रि साथी' कार्यक्रम पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई, जिसमें महिला डॉक्टरों की रात की ड्यूटी लगाने से बचने और उनके वर्किंग आवर्स एक वक्त में 12 घंटे से ज्यादा न होने का प्रावधान है. सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार को अधिसूचना में सुधार करना चाहिए. आपका कर्तव्य सुरक्षा प्रदान करना है, आप यह नहीं कह सकते कि महिलाएं (डॉक्टर) रात में काम नहीं कर सकतीं. पायलट, सेना आदि सभी में कर्मी रात में काम करते हैं. इससे उनके (डॉक्टरों के) करियर पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. सभी डॉक्टरों के लिए ड्यूटी के घंटे उचित होने चाहिए.' इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने पीठ से कहा कि वह महिला डॉक्टरों के लिए अधिसूचना वापस लेगी.
  • बेंच ने अस्पतालों में चिकित्सकों और अन्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठेके पर कर्मचारियों की भर्ती करने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाया. बेंच ने कहा, 'हम ऐसी स्थिति में हैं जहां चिकित्सकों के लिए सुरक्षा का अभाव है. राज्य सरकार को कम से कम सरकारी अस्पतालों में पुलिस को तैनात करना चाहिए. हमारे सामने युवा प्रशिक्षु और छात्राओं का मसला है जो काम के लिए कोलकाता आ रही हैं.'
  • सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि विकिपीडिया पर अब भी मृतका का नाम और तस्वीर मौजूद हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया को मृतका का नाम हटाने का निर्देश दिया. बेंच ने कहा, 'मृतका की गरिमा और निजता बनाए रखने के लिए... बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए. विकिपीडिया पहले दिए आदेश के अनुपालन के लिए कदम उठाए.'
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई यह नहीं कह सकता है कि सीबीआई ने अपराध, घटनास्थल या 27 मिनट की सीसीटीवी फुटेज से संबंधित कुछ भी नष्ट कर दिया है. पश्चिम बंगाल पुलिस ने कोर्ट को बताया कि सीसीटीवी फुटेज समेत अपराध से संबंधित कोई भी सामग्री उसके पास नहीं है और सब कुछ सीबीआई को सौंप दिया गया है.

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