अमीर भी लालच से परे नहीं, दहेज की कुप्रथा से कोई बचा नहीं: कोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने दहेज के मामले में एक व्यक्ति और उसके परिवार को दोषी ठहराते हुए टिप्पणी की कि मजबूत आर्थिक स्थिति वाले लोगों समेत समाज का कोई भी वर्ग दहेज की कुप्रथा से नहीं बचा है.
कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसके परिवार को 23 साल की महिला को दहेज के लिए इस हद तक प्रताड़ित करने का दोषी ठहराया कि महिला ने आत्महत्या कर ली. कोर्ट ने व्यक्ति के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उसका परिवार और पत्नी के परिवार से अमीर है. उन्हें उससे दहेज लेने की जरूरत नहीं थी.
अतिरिक्त सत्र जज सुनैना शर्मा ने कहा कि पीड़िता एक लग्जरी कार लेकर आई थी फिर भी आरोपी के परिवार ने और बड़ी कार खरीदी. उन्होंने कहा, "ऐसा कोई नियम नहीं है कि मजबूत आर्थिक स्थिति वाले सभी लोग लालच से परे होते हैं. आज समाज का कोई भी वर्ग दहेज की कुप्रथा से बचा नहीं है."
जज ने कहा कि पीड़िता शादी में ऑप्ट्रा कार लेकर आई थी. इसके बावजूद आरोपी ने स्कोडा खरीदी जिससे अभियोजन पक्ष का दावा मजबूत होता है कि आरोपी परिवार शादी में मिली कार की ब्रांड/गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं था. जब लड़की के माता-पिता ने स्कोडा देने की उनकी मांग नहीं मानी तो वह अपने बूते पुरानी स्कोडा कार खरीद लाए.
कोर्ट ने कहा कि महिला ने पंखे से फांसी लगा ली थी. उसे उसके पति, सास - ससुर और देवर ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था. कोर्ट ने आगे कहा कि पोस्टमार्टम में मृतका के शरीर पर कोई बाहरी जख्म नहीं पाए गए लेकिन इसका यह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि उसकी मौत से पहले उसके साथ कोई क्रूरता नहीं की गई.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक महिला की आरोपी से साल 2005 में शादी हुई थी. लड़की के पिता ने उन्हें ऑप्ट्रा, सोने के जेवर, 2.5 लाख रूपये नकद और कई उपहार दिए थे.
शादी के कुछ ही दिन बाद आरोपी और नकदी, बड़ी कार और महंगी वस्तुओं की मांग करने लगे. वो बहू को प्रताड़ित करने लगे. जब प्रताड़ना बर्दाश्त से बाहर हो गई तो महिला ने साल 2007 में आत्महत्या कर ली.